रविवार, 11 अप्रैल 2021
एक सच ऐसा भी (क्या हो गयी है तासीर जमाने की )
शनिवार, 10 अप्रैल 2021
धरती की हूँ मैं धूल
सोमवार, 5 अप्रैल 2021
खट्टे- मीठे एहसास
शनिवार, 3 अप्रैल 2021
छोटी छोटी दो रचना
नींव की पुनरावृति कर
खंडहर क्यो बुलंद करते हो ?
जर्जर हो गये जो ख्याल
उनमे हौसला कहाँ जड़ पाओगे ,
अतीत को वर्तमान सा न बनाओ
टूटे मन को कहाँ जोड़ पाओगे ।
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
गुरुवार, 1 अप्रैल 2021
कुछ दिल ने कहा
सोमवार, 29 मार्च 2021
कुछ ऐसी भी बातें होती हैं....
गुरुवार, 25 मार्च 2021
रंग पर्व.....
सोमवार, 22 मार्च 2021
एक जीत नजर आती है... ......
अन्यायों की दीवारों में ,
जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है
परवशता के विचारो में ।
रोते -रोते मोम के आँसू
बदल गये अब सिसकियो में ,
हर दर्द उठाती है मुस्कान
इस बेदर्द जमाने में
शुक्रवार, 19 मार्च 2021
मंगलवार, 16 मार्च 2021
मेरी दिली तमन्ना है
शनिवार, 13 मार्च 2021
द्वेष- क्लेश
रिश्तों के आपसी द्वेष ,
परिवार का
समीकरण ही बदल देते है ,
घर के क्लेश से दीवार
चीख उठती है ,
नफरत इर्ष्या
दीमक की भांति ,
मन को खोखला
बुधवार, 10 मार्च 2021
बचपन की हर तस्वीर.......
बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .
पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .
इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .
सावन के आते ही झूलें
पेड़ो पर पड़ जाते थे ,
बारिश के पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,
बिना सवारी की वो नाव भी अच्छी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।
पल में रूठना पल में मान जाना
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना
हक से सारा सामान जुटाना ,
खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।
कच्ची मिट्टी की काया थी
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी
सर पर आशीषों की छाया थी ,
चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।
सोमवार, 8 मार्च 2021
युग परिवर्तन
गुरुवार, 4 मार्च 2021
एक दूजे का साथ जरूरी है
महिलाओ को एक दूजे का
साथ जरूरी है ,
हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।
तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,
धो देगी मन के मैल सभी
संगम धारा की नीर ।
फूट पड़ेगी प्रेम की धारा
प्रीत की रीत से ,
बदल जायेगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।
हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,
अरमानो के फूल खिलेंगे
सुखे हुए हर वृक्ष से ।
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा
मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
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महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय
खोज करती हूँ उसी आधार की ।
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021
कब तक.....
कहाँ तक
इन्तजार में खड़े रहकर
तुम्हारे सहारे को तकते रहें __
कभी तो
कहीं तो
तुम छोड़ ही दोगे
ऊब कर ।
बैसाखी तो हो नही
जो पास में रख लू ।
इतना ही काफी है
जो तुमने खड़ा कर दिया ___
दौड़ भले न पाऊं
तुम्हारे बगैर ,
मगर चल तो लूंगी अब ,
धीरे -धीरे ही सही
गिरते -पड़ते लड़खड़ाते ,
एक दिन दौड़ने भी लगूंगी ।
रविवार, 21 फ़रवरी 2021
जिंदगी से सब.....
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021
उम्मीद.......
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021
संगदिल
तुम तो पत्थर की मूरत हो
नज़र आते , अजंता की सूरत हो ,
जहां प्रेम तो झलकता बखूबी
पर अहसास नही जिन्दा कही भी ,
हर बात बेअसर है तुम पर
जो समझ से मेरे है ऊपर ,
सब बात पे आसानी से कह जाते
कोई फर्क नही पड़ता हम पर ,
इस हाड़ मांस के पुतले में
दिल तो नही ,हो गया कही पत्थर ?
तुम कह गए और हम मान गये
यहाँ बात नही होती ,पूरी दिलबर ,
क्या ऐसा भी संभव है
यह प्रश्न खड़ा ,मेरे मन पर ,
छोड़ो अब इसे जाने दो ,देखेंगे
क्या होगा आगे आने पर ।