काव्यांजलि
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
याद-ए-तन्हाई
दराजे
-तन्हाई , दार-मदार हो
जिसके
अश्को ने सदा साथ निभाया ।
करवटे दर- गुज़र करती रही
आँखों में भरे नींदों को ,
तन्हाई का ऐसा आलम
कब रात गई कब सहर हुई ।
दर्द भी हल दर्क* न सका ,
और जागते को
सुबह भी जगाने आई ।
(दर्क=पाना।)
शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011
चंद सवाल है जो चीखते ......
तेरे मेरे दरम्यान सभी रास्ते यकायक बंद हो गये
क्या कहे ,न कहे हम इस सवाल पर ठहर गये
।
हम जानते है ये खूब ,दगा फितरत मे नही तुम्हारे
कोशिश तो की
मिटाने
की ,मगर दाग फिर भी
रह
गये
।
हर उदासी मे बढ़कर तुम्हे गले लगाना चाहा
कुछ चुभने लगा तभी ,और कदम ठहर गये
।
सब कुछ ख़ामोशी मे दबकर तो रह गया
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये
।
हर बात गहरे यकीन का अहसास दिलाती है
पर वो नही कभी कर पाये जो तुम कह गये
।
सोमवार, 7 फ़रवरी 2011
मां शारदे
संगीत की देवी वीणावादिनी
जय मां शारदे, विद्यादायिनी.
तेरा वैभव असीम अपार
पूजे तुमको विश्व-संसार.
अद्वितीय प्रभा की प्रतिमा तुझमें,
मुख ज्योति से प्रस्फुटित होती किरणें,
उन किरणों से हर लेती तू
जग की सारी यामिनी, वीणावादिनी.
दुनिया के क्लेषों से रहती है
दूर सदा
अपने भक्तों को संवारती
वरदानों से सदा
तेरी करुणा के सागर में,
दया का भाव बंधा
सुन ले विनती हे मां,
लक्ष्यों को मेरे जीवन से बांध.
कमल की सेज पर सुशोभित
जय हो तेरी हंसवाहिनी
पुस्तक-धारिणी
दया-दायिनी.
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