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क़ातिल

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सरेआम कत्ल कर के भी  वो शर्मिंदा नही है , क्योंकि उसका कहना है  वो कातिल नही है । कई बार सच भी आँखों का  धोखा होता है , क़त्ल करने वाला यहाँ  कातिल नहीं होता है ।

हम ........

मै को अकेले रहना था  हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था  एक को सबके लिए जीना था ,  इसलिए सबकुछ होते हुए भी  मै यहाँ कंगाल रहा  कुछ नही होते हुए भी  हम मालामाल रहा ।
मै को अकेले रहना था हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था एक को सबके लिए जीना था , तभी सबकुछ होते हुए भी मै यहाँ कंगाल रहा कुछ नही होते हुए भी हम मालामाल रहा ।