सरेआम कत्ल कर के भी वो शर्मिंदा नही है , क्योंकि उसका कहना है वो कातिल नही है । कई बार सच भी आँखों का धोखा होता है , क़त्ल करने वाला यहाँ कातिल नहीं होता है ।
मै को अकेले रहना था हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था एक को सबके लिए जीना था , इसलिए सबकुछ होते हुए भी मै यहाँ कंगाल रहा कुछ नही होते हुए भी हम मालामाल रहा ।
मै को अकेले रहना था हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था एक को सबके लिए जीना था , तभी सबकुछ होते हुए भी मै यहाँ कंगाल रहा कुछ नही होते हुए भी हम मालामाल रहा ।