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अप्रैल, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बचपन की तस्वीरे

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है . पहली बारिश की बूंदो मे मिलकर खूब नहाते थे , ढेरो ओले के टुकड़े को बिन बिन कर ले आते थे . इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै . सावन के आते ही पेड़ो पर झूले पड़ जाते थे , बारिश के  पानी मे बच्चे कागज की नाव बहाते थे , बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है । पल में रूठना पल में मान  जाना  बात बात में मुँह का फुल जाना , जिद्द में अपनी बात मनवाना  हक से सारा सामान जुटाना , खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।। कच्ची मिट्टी की काया थी  मन मे लोभ न माया थी , स्नेह की बहती धारा थी  आशीषों की सर पर छाया थी , चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

मन के मोती

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हर फिक्र से आजाद हम होने लगे है , सोचने सबके लिए अब कम लगे है . ,,,,,,,,............ शिकायतो मे ही हमेशा जिन्दगी बसर करना अच्छा नही , लौटकर नही आता यहॉ फिर जो गुजर जाता हैै वक्त कभी .

सालगिरह पर

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आज का दिन ही ऐसा है जो हमे लिखने को मजबूर कर रहा है , क्योकि हमारी जिन्दगी से ये एक बर्ष को दूर कर रहा है . जो आती है चीज यहॉ वो जाती भी है इसे बयां हमारा  दस्तूर कर रहा है .