बुधवार, 29 अप्रैल 2020

दुर्लभ दाम्पत्य जीवन

दुर्लभ दाम्पत्य जीवन का अद्भुत संसार है

इनके जीवन के किस्सों में  रंग भरे हजार है।

कभी इनके बीच

बेहद -बेहिसाब प्यार है ,

कभी इनके बीच

तू-तू मै-मै की तकरार है ,

कभी इनके बीच

दिल से किया गया इकरार है ,

कभी इनके बीच

गुस्से में किया गया इंकार है ,

कभी इनके बीच

अरमानों का अम्बार है ,

कभी इनके बीच

खुशियों की बहार है ,

कभी इनके बीच

गिले-शिकवों का भंडार है ,

कभी इनके बीच

ऐतबार ही ऐतबार है ,

कभी इनके बीच

उभर आती दरार है ,

कभी इनके बीच

वफ़ा का इजहार है ,

कभी इनके बीच

हल्की -फुल्की फुहार है ,

कभी इनके बीच

मैं की खड़ी दीवार है ,

कभी इनके बीच

हम से बंधा आधार है,

कभी इनके बीच

जिम्मेदारियों का भार है ,

कभी इनके बीच

रिश्तों का व्यापार है ,

कभी इनके बीच

जीत है व हार है ,

कभी इनके बीच

समझौते का व्यवहार है ,

कभी रकीब तो कभी ये यार है

अहसासों से बंधे हालातों के शिकार है ,

दुर्लभ दाम्पत्य जीवन का अद्भुत संसार है

इनके जीवन के किस्सों मे रंग भरे हजार है ।

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

मन के मोती

आदमी, आदमी से आदमी का

पता पूछता है

खुदा का बंदा खुदा को

हर बन्दे में ढूँढता है ।

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शैतानों के बीच रहकर

इंसानो का गुजारा नामुमकिन

दोनों में से किसी एक का

बदलना है मुमकिन ।
......................
सिलसिला बरकरार रहा

हर दौर का, हर दौर में

शामिल रहा कुछ न कुछ

हर दौर का, हर दौर में ।
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जोश में होश

गवा बैठते है

बात तभी हम

बिगाड़ बैठते है ।
💐💐💐💐💐💐💐💐
ज़िन्दगी में बहार है तो

उम्र भी दरकार है

जिंदगी यदि बेजार है तो

उम्र भी बेकार है ।
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नमस्कार ,शुभ प्रभात मित्रों

रविवार, 26 अप्रैल 2020

आस का दीपक

पतन से पहले

अंत बुराई का

निश्चय ही होता है ,

तब आस का दीपक

हरदम ही जलता है

यही वजह है

अंश यहां

मानवता का जिंदा है ,

घायल तो है

जमीर यहाँ 

पर वो शर्मिंदा है ।

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

कुछ बात बड़ी होनी चाहिये

मुख़्तसर सी जिंदगी मे

कुछ बात बड़ी होनी चाहिए ,

कद भले ही छोटा हो

सोच बड़ी होनी चाहिए ।

हर बात पे तेरा-मेरा

अच्छा नही लगता यारो ,

शिकायतों से हटकर भी

कभी बात होनी चाहिये ।

तुम ,तुम हो, हम,हम है

इस बात पर दो राय

कभी भी किसी की

नही होनी चाहिये  ।

इसलिए जब भी मिलो

इंसानियत के नाते मिलो

फिजूल मे बर्बादी नही

वक्त की होनी चाहिये ।

मुख़्तसर सी जिंदगी में ......

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

दुविधा

राते छोटी

बाते बड़ी

कहने को  मेरे पास

बहुत कुछ था

तुम्हारे लिए कही

लेकिन तुम्हारे सामने

खड़े होते ही

तुम्हें देखते ही

शिकायतों ने दम तोड़ दिया

सवालों ने साथ छोड़ दिया

और मैं अपनी मौन

अवस्था मे लिपटी हुई

वापस लौट आई वही

कितनी दुविधापूर्ण स्थिति

होती है ,

यकीन की कभी- कभी

कही-कही   ।

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

सन्नाटा


चीर कर सन्नाटा

श्मशान का

सवाल उठाया मैंने ,

होते हो आबाद

हर रोज

कितनी जानो से यहाँ

फिर क्यों बिखरी है

इतनी खामोशी

क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,

हर एक लाश के आने पर

तुम जश्न मनाओ

आबाद हो रहा तुम्हारा जहां

यह अहसास कराओ 

ऐ श्मशान तेरा  ये सन्नाटा

क्यो नही जाता ,

जबकि दे  दे कर

हम अपनी जाने 

तुझे आबाद करते हैं ।

रविवार, 12 अप्रैल 2020

दीवारे सहारे ढूँढती है

दीवारे  सहारे  ढूँढती है 

कल के नजारे ढूँढती है ,

वो पहले से लोग

वो पहले से जमाने ढूँढती है ,

आज के ठिकानों में 

कल के ठिकाने ढूँढती है ,

ऊँची-ऊँची इमारते नहीं

जमीन के घरौंदे  ढूँढती है ,

मकान की खूबसूरती नही

घर का सुख-चैन ढूँढती है ,

गैरों  की भाषा नही

अपनो की परिभाषा ढूँढती है ,

दिलो में अहसास के खजाने

विश्वास का सहारा ढूँढती है ,

उम्मीद की किरणों में

खुशियों की रौशनी ढूँढती है ,

रिश्तों मे व्यपार नही

प्यार को ढूँढती है ,

खिड़की से चांद -तारे को

दरवाजे पर अपने प्यारो को ढूँढती है ।

दीवारे सहारे ढूँढती है .........।

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

समय की मांग

आज की जरूरत को हम सभी गंभीरता से समझे ,समझदारी के साथ बताये हुए नियमों का पालन करे  ,ये कोई राजनैतिक मसला  नही है ,ये प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का सवाल है ,ये जंग कोरोना जैसे महामारी के विरुद्ध है ,विश्व कल्याण के लिए है ,इसलिए सबकी सहमति एवं सहयोग की आवश्यकता है इस मुश्किल घड़ी में ।जहां विश्वास और एकता की शक्ति मिल जाएंगी ,वहाँ सब बढ़िया ही होगा ।जिस पैर से परेशानियां आई है उसी पैर से वापस लौट भी जाएंगी ।बस हम यूँ ही हिम्मत और धैर्य के साथ काम ले तथा जीवन व्यतीत करे ।वर्तमान स्थिति को देखते हुए हमारा प्रयास ,लक्ष्य सम्पूर्ण विश्व के जीवन को बचाना है ,क्योंकि फिलहाल जिंदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं है ।आशा करती हूं इस बात को सभी समझेंगे ।आप अपने घर में रह रहे है और वही रहे घर से महफूज जगह कोई नही ,घर ही आज जन्नत है हमारे लिए ,जीवनदान और जीवन का सुख हमारा घर ही हमे देगा ,घर की अहमियत को समझे ,नादानियों से बचे रहे ,यही समय की मांग है ,बात डर की अवश्य है लेकिन निराश न हो ,लड़ाई लंबी ,मुश्किल है मगर जीत हासिल होगी ,समय एक जैसा कभी नहीं रहा ,न रहेगा , समय बदलता है और बदलेगा वो भी बहुत जल्दी ,हो सकता है ये बीमारी हमे कुछ समझाने ,सिखाने आई हो ,सही दिशा दिखाने आई हो ,कुछ अच्छा करने आई हो जगत का ,मानव का ।
ये मेरे दिले नादान तू गम से न घबराना ...
मालिक ने तुझे दी है ये जिंदगी जीने को ,
तूफान में  रहने दे तू अपने सफीने को ,
जब वक़्त इशारा दे साहिल पे पहुंच जाना ,
ये मेरे दिले नादान तू गम से न घबराना ।
ये मालिक तेरे बंदे हम ,नेकी पर चले ,बदी से टले ,ऐसे हो तुम्हारे करम ।
जय हिंद हरि ॐ
शुभ प्रभात