शनिवार, 11 मई 2019

गुमां नहीं रहा


जिंदगी का जिंदगी पे अधिकार नही रहा

इसीलिए उम्र का अब कोई हिसाब नही रहा ,

आज है यहाँ , कल जाने हो कहाँ

साथ के इसका एतबार नही रहा ,

मोम सा दिल ये पत्थर न बन जाये

हादसों का यदि यही सिलसिलेवार रहा ,

जुटाते रहें तमाम साधन हम जीने के लिए

मगर सांस जब टूटी साथ कुछ नही रहा ,

देख कर तबाही का नजारा हर तरफ

अब बुलंद तस्वीर का ख्वाब नही रहा ,

वर्तमान की काया विकृत होते देख

भविष्य के सुधरने का गुमां नही रहा ,

सोचने को फिर क्या रह जाएगा बाकी

हाथ में यदि कोई लगाम नही रहा l

शुक्रवार, 10 मई 2019

सन्नाटा....


चीर कर सन्नाटा

श्मशान का

सवाल उठाया मैंने ,

होते हो आबाद

हर रोज

कितनी जानो से यहाँ

फिर क्यों इतनी ख़ामोशी

बिखरी है

क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,

हर एक लाश के आने पर

तुम जश्न मनाओ

आबाद हो रहा तुम्हारा जहां

यह अहसास कराओ .

सोमवार, 6 मई 2019

आदमी.....

आदमी जिंदगी के जंगल में

अपना ही करता शिकार है ,

फैलाता है औरो के लिए जाल

और फसता खुद हर बार है ।
.......................