काव्यांजलि
शुक्रवार, 12 जून 2015
दिल ........
दिल सुनता रहा
दिल सहता रहा ,
सब्र का सिलसिला
बस यूही चलता रहा .
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खामोशी मे कई बातो का आगाज होता है
टूटने पर ही इस बात का अहसास होता है .
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