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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मनोवृत्ति

सुबह-सुबह का वक्त दरवाजे के बाहर खड़ा एक शख्स बड़ी तेज आवाज में चिल्लाया क्या कोई है भाई आवाज  सुन भीतर से  एक सभ्य महिला निकल आई देख भिखारी को उसकी आंखें  तमतमाई तभी भिखारी  ने कहा दे दे  कुछ माई अल्लाह भला करेगा तेरा दिल दुआएं देगा मेरा , पर इस बात से उसके  कानों  पर कहाँ  जूं  रेंग पाया , उसने अपने वफादार  टॉमी को तुरंत बुलाया और भिखारी के पीछे दौड़ाया भिखारी झोला,कटोरा हाथ में लिये  दौड़ा लेकिन कुत्ते टॉमी ने उसे नही छोड़ा अपने दांतों से दबोच कर नोंचकर उसे घायल कर आया , फिर भी मालिक ने उसे पुचकारा ,सहलाया दूध -बिस्किट खिलाया और साथ ही समझाया बेटा -आगे से ऐसे ही पेश आना ताकि इन गंदे कीड़ो को यहां आने पर पड़े पछताना । -------------

छोटी छोटी दो रचनाये

लौटकर  कोई  आये न आये आवाज आती तो है वापसी का पैगाम उम्मीद  जगाती तो है , दिन बदलता है  सभी का तुम्हारा भी बदलेगा देकर जरा सी तसल्ली उम्र बढ़ाती तो है । 💐💐💐💐💐💐💐 लाख दाग हो फिर भी बेदाग ही कहलाता है , ये चाँद  सबको खूबसूरत ही नजर आता है । **************

आखिर कौन हो तुम ?

वक्त  किसी  के लिए ठहरता नही मगर तुम्हें उम्मीद है कि वो ठहरेगा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए और इंतजार करेगा तुम्हारा बड़ी बेसब्री से कहीं , कोई अलभ्य शख्सियत हो ? जो रुख हवाओं का मोड़ रहे हो वर्ना आदमी दौड़कर लाख कोशिशों के बाद भी पकड़ नही पाया वक्त को तां  उम्र और यहाँ बड़े  इत्मीनान से सुस्ता रहे हो तुम , आखिर कौन हो तुम ,?

धीरे --धीरे.......

धीरे --धीरे ... टूट रहे सारे  रिश्ते कल के धीरे- धीरे जुड़ रहे सारे रिश्ते आज के धीरे - धीरे , समय बदल गया सोच बदल गई मंजिल की सब दिशा बदल गई , हम ढल रहा है अब मै  में धीरे  -धीरे साथ रहने वाले  अब कट रहे  धीरे  -धीरे , सबका अपना आसमान है सबकी अपनी जमीन हो  गईं , एक छत  के नीचे  रहने वालों की  अब कमी हो गई , रीत बदल रही धीरे - धीरे प्रीत बदल रही  धीरे - धीरे ।

चल रही है पतवार ...

उम्र गुजर जाती है सबकी लिए एक ही बात , सबको देते जाते है हम आँचल भर सौगात , फिर भी खाली होता है क्यों अपने मे आज ? रिक्त रहा जीवन का पन्ना जाने क्या है राज  ? बात बड़ी मामूली सी है पर करती खड़ा फसाद , करके संबंधों को विच्छेदित है बीच में उठाती दीवार सवालों में उलझा हुआ ये मानव संसार गिले - शिकवे की अपूर्णता पर घिरा रहा मन हर बार । रहस्य भरा कैसा अद्भुत है मन का ये अहसास , रोमांचक किस्से सा अनुभव इस लेन- देन के साथ , जीवन की नदियां  मे चल रही है पतवार , कभी मिल गया किनारा कभी  डूबे  बीच मझधार । कभी मिल गया किनारा कभी डूबे बीच मझधार । . ....  .................. ज्योति सिंह

ओस

ओस की एक बूँद नन्ही सी चमकती हुई अस्थाई क्षणिक रात भर की मेहमान ___ जो सूरज के आने की प्रतीक्षा कतई नही करती , चाँद से रूकने की जिद्द करती है , क्योंकि दूधिया रात मे उसका वजूद जिन्दा रहता है , सूरज की तपिश उसके अस्तित्व को जला देती है । ज्योति सिंह

कोशिश में हूँ

कोशिश में हूँ बेहतर करने की कोशिश में हूँ बेहतर बनने की कोशिश में हूँ आगे बढ़ने की कोशिश में हूँ आगे चलने की कोशिश करते रहने मे ही उम्मीद बंधी है जीतने की कोशिश ही हिम्मत देती है मंजिल तक पहुंचने की । कोशिश है, जीवन में खुशियों के रंग भरने की। तभी जुटी हूँ, इन तमाम कोशिशों को, कामयाब करने की कोशिश में।

कुछ और नही जिंदगी बस ये प्यार है

प्यार देने का भी स लीका होता है प्यार लेने का भी सलीका होता है, जिंदगी में मुश्किलें कम तो नही आसान करने का भी सलीका होता है । ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ दर्दे ताल्लुकात पर मैंने कोई सवाल नही किया, इसका मतलब ये तो नही मैने प्यार दर्द से ही किया । """"""""""""""""""""""""""""""""""""" दिल सुनता रहा दिल सहता रहा , सब्र का सिलसिला यू ही चलता रहा । ******************* हर हाल में जीने को दिल ये तैयार है कुछ और नही जिंदगी बस ये प्यार है । 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

खट्टे-मीठे अहसास

जिंदगी इतनी आसानी से देती कहाँ हमे कुछ , संघर्षों के बिना है होता हासिल कहाँ हमे कुछ । ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, गम अजीज हो गया खुशी को नकार के उठा कर हार गए हम जब नखरे बहार के । .............................. एक जीत नजर आती है जीवन के इन हारों में रात को रौशन कर देगी कभी चांदनी अपने उजालों में । --------------------------------- सारी रात गुजर गई लेकर तेरी याद नींद बेवफा हो गई देकर तेरा साथ । ।।।।।।।।।।।।।।।।।। बगैर शब्दों के जो हो जाये बयां रिश्ता वही दिल को छू जाये यहां । 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

अच्छी नही .........

चुप्पी इतनी भी अच्छी नही  कि हम बोलना भूल जायें , नारजगी इतनी भी अच्छी नही कि हम मनाना भूल जाये ,, उदासी इतनी भी अच्छी नहीं कि हम खुश होना भूल जाये , दूरियां इतनी भी अच्छी नहीं कि हम साथ रहना भूल जायें , शिकायतें इतनी भी अच्छी नहीं कि हम हक जताना भूल जाये , बातें ऐसी कोई भी अच्छी नहीं, मेरे यारों कि हम क़दर  करना  भूल जायें  । 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

माँ .......

माँ एक ऐसा शब्द  जिस पर क्या बोलू ,क्या कहूँ ,क्या लिखूँ , सोच ही नही पाती हूँ मैं  ,इसको परिभाषित करना आसान नहीं है मेरे लिए ,कोई भी  शब्द कोई भी वाक्य सम्पूर्ण रूप से इसे परिभाषित नही कर पायेंगे ,उसे शत शत नमन करते हुए यही कहूंगी --माँ नही तो ये जहां नही ,माँ ही से जिंदा है भरोसा ,माँ ही से जिंदा है प्रेम ,माँ ही से जिंदा है ममता ,माँ ही से जिंदा है वात्सल्य ,माँ ही से जिंदा है आस  ,माँ ही से जिंदा है त्याग ,माँ ही से जिंदा है अच्छाई ,माँ ही से जिंदा है नेकी ,माँ ही से जिंदा है इमान ,माँ ही से जिंदा है इंसानियत ,माँ ही है ईश्वर का स्वरूप ,माँ ही छाँव ,माँ ही धूप,माँ ही सुख माँ ही दुख ,माँ ही हिम्मत ,माँ ही ताकत ,माँ ही धीरज ,माँ ही जरूरत ,माँ ही सखा ,माँ ही गुरु ,माँ से ही शुरू हुआ जीवन ,माँ का ही दिया हुआ है जीवन ,माँ पर क्या लिखूं ,इस छोटे से शब्द ने रच दिया सारा संसार ,सबसे छोटे शब्द  का ही सबसे बड़ा आकार  ।

ममतामयी माँ

चित्र
ममतामयी माँ माँ मेरी माँ सबकी माँ जन्म से लेकर अंतिम श्वास तक जरूरत सबकी माँ जीवन की हर छोटी -छोटी बातों में याद बहुत आती माँ निश्छल ममता ,दया करूणा की सूरत तुम माँ निस्वार्थ सर्वस्व लुटाने वाली त्याग की मूर्ती तुम माँ मीठी लोरी से पलकों में सुन्दर स्वप्न सजाती माँ सहलाकर नर्म हाथो से प्रेम का स्पर्श कराती माँ तुम्हारे आँचल की छांव मे सुख का जहां है माँ सृष्टि की कल्पना ,है अधूरी जो तुम नही हो माँ अपनी फिक्र छोड़कर सबकी फिक्र करने वाली माँ बालो को कंघी से सुलझाने वाली माँ बड़े प्यार से निवाले को मुंह में भरती माँ उसके हाथों सा स्वाद मिलेगा हमें कहाँ , बच्चो के हर सुख -दुख को भांपने वाली माँ कहे बिना ही मन के हर भाव को पढ़ लेती माँ सबकी चिन्ताओ को अपने हृदय में समेटे माँ जीवन के हर मोड़ पर साथ निभाती माँ जन्नत उसके चरणों में है यहाँ बसा हुआ ईश्वर का ही रूप है दुनिया की हर माँ हाथ जोड़कर ,शीश झुकाकर हम करते नमन तुम्हें माँ । ,,,,,,,

जीत जायेंगे.......

बड़े बड़े जंग जीते है ये भी जीत जायेंगे , मन मे रक्खे धीरज मुश्किल से निकल जायेंगे , ये समय नही सियासी बातों का ये समय है जीवन रक्षा का, संभल कर जो कदम बढ़ायेंगे मंजिल तक पहुंच जायेंगे , हारेंगे नही हम हराएंगे कोरोना को मार भगायेंगे, बनी रही जो दूरियां हम ये जंग जीत जायेंगे ।

कहर कोरोना का

जिंदगी हादसों की शिकार हो गईं चन्द रोज की यहां मेहमान हो गई। न कोई आता है न कोई जाता है सड़के कितनी सुनसान हो गई । सहमा -सहमा सा है हर एक मन दूर रहने की शर्ते साथ हो गई । कोरोना का ढाया ऐसा कहर आज की जिंदगी बर्बाद हो गई । कब पायेंगे निजात इस आफत से यही फिक्र अब तो दिन रात हो गई । आया है जब से कोरोना दुनिया में अरमानों की दुनिया राख हो गई ।