काव्यांजलि
शुक्रवार, 11 मार्च 2016
मै को अकेले रहना था हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था एक को सबके लिए जीना था , तभी सबकुछ होते हुए भी मै यहाँ कंगाल रहा कुछ नही होते हुए भी हम मालामाल रहा ।
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