ख्याल जुदाई का ....
वो मंजर जितना हसीं
उतना ही गमगीन होगा ,
जब हम हाथ छुड़ाके
दिल में होकर भी ,
दूरी नाप रहे होंगे ,
एक पल नजदीक
और एक पल दूर
खींचते हुए हमें ,
अनचाहे राह पर
खड़े किये होगा ,
हम हालात में कैद
अपनी मर्जी बांधे होंगे ,
न चाहते हुए भी
एक दूजे को ,
विदा करते होंगे ,
डबडबाती आँखों में
आंसुओं को सँभालते हुए ,
हाथ हिलाते - हिलाते
अचानक ओझल हो जायेंगे ।
अपने - अपने रास्ते मुडकर
यही ख्याल लिए बढ़ते होंगे ,
कल मिलेंगे भी कि नहीं
ये जुदाई उम्र कैद तो नहीं ।