युग परिवर्तन न तुलसी होंगे, न राम न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता , न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये दूसरी सीता यहां पर , कैसे वो सब सहे जो संभव नही यह...
हम ........ मै को अकेले रहना था हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था एक को सबके लिए जीना था , इसलिए सबकुछ होते हुए भी मै यहाँ कंगाल रहा कुछ नही होते हुए भी हम मालामाल रहा ।
आखिर ऐसा हुआ क्यो ? सही ही गलत का है हकदार क्यों ? बेगुनाह को ही सजा हर बार क्यों ? गीता और कुरान का मान घटा क्यों ? सच जानते हुए भी झूठ चला क्यों ? यहाँ धर्म और ईमान डगमगाया क्यों ? य...
जीवन की रीत यही है जो देगा उसे ही मिलेगा बीज बो और फूल खिलेगा वृक्ष रोपो तो फल मिलेगा , लेन-देन की शृंखला ही जीवन को परिपूर्ण करेगी , सुख -वैभव का आनंद देकर जीवन मे उल्लास भरेगी ...
ये रास्ते है अदब के कश्ती मोड़ लो , माझी किसी और साहिल पे चलो । हम है नही खुदा न है खास ही , राहे - तलब अपनी कुछ है और ही । नाराजगी का यहाँ सामान नही बनना , ...
छोटी सी दो रचनाये --------------------------- महंगाई से अधिक भारी पड़ी हमको हमारी ईमानदारी , महंगाई को तो संभाल लिया हमने इच्छाओ से समझौता कर , मगर ईमानदारी को संभाल नही पाये किसी समझौते पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,...