उम्मीद छोड़ रहे है विश्वास तोड़ रहे है जीने की हर राह से मुंह अपने मोड़ रहे है , सपनो को मिटाकर इच्छाओ को दफनाकर फिर जिन्दगी के वास्ते दुआ मांगने के लिए क्यो हाथ जोड़ रहे है ?
रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई . उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई. अपनो से ही सब किनारा करने लगे उम्मीद इस कदर यहां निलाम हो गई . हादसा हादसा और हादसा ही यहां हर कहानी का सिर्फ उनबान हो गई .