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अगस्त, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दुआ......?

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उम्मीद छोड़ रहे है विश्वास तोड़ रहे है जीने की हर राह से मुंह अपने मोड़ रहे है , सपनो को मिटाकर इच्छाओ को दफनाकर फिर जिन्दगी के वास्ते दुआ मांगने के लिए क्यो हाथ जोड़ रहे है  ?

हादसा.....

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रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई . उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई. अपनो से ही सब किनारा करने लगे उम्मीद इस कदर यहां निलाम हो गई . हादसा   हादसा और हादसा ही यहां हर कहानी का सिर्फ उनबान हो गई .