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रहमत है उस खुदा की गुजर हो रहा है , हर हाल मे यहां सबका बसर हो रहा है . ,,,,,,,,,,,,,,,, जिस बात पर यकीन कभी होता नही था उस बात पर यकीं अब हो रहा है . ........... इतनी घनी आबादी और आदमी अकेला कहने को उसे अपना कोई नही मिल रहा है . "''''''' आदमी अठन्नी और खर्चा रुपया शौक इस कदर हमे ले डूब रहा है . ुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुु मकान का नक्शा कुछ इस तरह बनने लगा है जो जमीन पर था वो आसमान पर बस रहा है . ,,,,,,,,, वाकई मे दुनिया बहुत बदल गई इस बात का इल्म हमे हो रहा है .

शादी की सालगिरह के शुभ अवसर पर

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अच्छा था या बुरा सही था या गलत शिकायत थी या फिर नही , इन सभी बातो से बढ़कर जो बात थी वो यह थी किं जिन्दगी गुजर गई हर हाल मे अपनी साथ कही .

सिर्फ एक बार .....

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सिर्फ एक बार सिर्फ एक बार सिर्फ एक बार उम्मीद की दहलीज पर खड़े रहकर यह एक बार क्या रहता है सिर्फ एक बार ? हर बात का अंत इतनी आसानी से नही होता , अगर होता तो असर फिर उसका रहता सिर्फ एक बार  .

दुआ......?

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उम्मीद छोड़ रहे है विश्वास तोड़ रहे है जीने की हर राह से मुंह अपने मोड़ रहे है , सपनो को मिटाकर इच्छाओ को दफनाकर फिर जिन्दगी के वास्ते दुआ मांगने के लिए क्यो हाथ जोड़ रहे है  ?

हादसा.....

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रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई . उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई. अपनो से ही सब किनारा करने लगे उम्मीद इस कदर यहां निलाम हो गई . हादसा   हादसा और हादसा ही यहां हर कहानी का सिर्फ उनबान हो गई .

मसीहा..............

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भीड़  में जो अक्सर  गायब  हो जाते है   भीड़ हटने  पर  वो  अकेले  रह जाते  है , सबके साथ  वो रास्ते  पर  चल नही पाते  पर  सबके लिये  रास्ते  वो जरूर बनाते है , मसीहा तो  हर कोई यहाँ बन नहीं सकता  तभी  सर  उसके आगे  सब झुकाते है  ।  तभी  सर  उसके आगे  सब झुकाते है  । 

कुछ बाते

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इस दुनिया से ज्यादा कही खुद को समझना मुश्किल है , जिस दिन हम खुद को समझ गये राह समझ लो सब मुमकिन है । >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> गुजरते वक़्त के साथ यहाँ कई बात बदल जाती है , मन तो बच्चा ही रहता है पर इच्छाये बड़ी हो जाती है । <<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<< आगे बढ़ने के लिए हमें बीती बातों से रिश्ता तोडना पड़ता है , जीवन को जीने के लिए कुछ बातों से समझौता करना पड़ता है। .

गरीबी

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इस  जहां में  गरीबी  इतनी  आसान  नहीं  यारो   एक  पेट  के लिए  आदमी कितना  भटकता  है यारो , कल  के सूरज  के लिए  यहाँ  कोई  नहीं  सोचता   आज  की  शाम  गुजर  जाये  यही  बहुत  है  यारो  , हर  वक़्त  वो  इसकी  फ़िक्र  में घुलता  रहता है   रात  से  भी  अधिक  गहरा  साया  इसका है  यारो  , जीने  के लिए  तमाम  कोशिशे  करता रहता है  वो  आदमी  जो  है ,हिम्मत  नहीं  छोड़ता  यारो  , हालत  इनकी  संभल  जाये  हमेशा  के लिए  ही   बस  यही  दुआ  मिलकर  अल्लाह  से करो  यारो  । 
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जरा  ठहर  कर  देखते  है   मंज़र  क्या  है  आगे  का  , बहुत  जरूरी  है  संभलना  पता  चलता  नहीं  इरादो  का।