संदेश

सितंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हम अंत कभी नहीं चाहते .........

चित्र
एकता  और  प्रेम  की  मिसाल   हम  कायम  करना  चाहते  थे , अमन  और  इंसानियत  का  हथियार   हम इस्तेमाल  करना  चाहते  थे  , मगर  आक्रोश  और  जुनून  में   खौलते  हुए  चंद  विचार  , अस्त्र -शस्त्र  चलाने  पर   हमें  मजबूर  करते  रहे  , इतिहास  के  पन्ने  जो  पहले   वीर  गाथाओं  से  भरे  थे  , आज  काले  -काले  धब्बो  से  भरकर  भद्दे  होते  जा  रहे  , समय  को हम  चाहते  है  रोकना   इतिहास  को  हम चाहते है  बदलना   पर  दोनों  ही  हमारे  वश  में  नहीं  रहे  , हम  अंत  कभी  नहीं  चाहते  थे   पर   इसके  भागीदार  तो  बने  रहे  , ऐसा  लगता  है  मानो   ...

क्या .......?

चित्र
क्या  कहा  जाये  क्या  सुना  जाये  इस  क्या  से  आगे   यहाँ  कैसे  बढ़ा  जाये समझ  आता  नहीं  , क्योंकि  ये  दुनिया  अब   पहले  जैसे  सीधी  रही  नहीं  , तभी  आसान  बात  भी  मुश्किल  नज़र  आती  है  , किसी  से  कहे  कुछ  उसे  समझ  कुछ  और  आती  है  ।  शायद  इसलिए  ज़िन्दगी  अब , लम्हों  में  बिखर  जाती  है  ।