'शाम से आँख में नमी सी है , आज फिर आप की कमी सी है ' तुम जहाँ भी हो हर वर्ष की तरह इस बार भी तुम्हारे साल गिरह की बधाई देने बैठी हूँ ,फर्क इतना है कि इस बार तुम्हे अपने ब्लॉग के जरिये मुबारकबाद दे रही हूँ ,अवसर तो खुशी का है मगर जुदाई के गम साथ लिए यादो की बौछारों से पलके भीग गई ,करोगे याद तो हर बात याद आएगी गुजरते वक्त की हर मौज ठहर जायेगी ,इस गुजरते वक्त में वो भी गुजर गया जहाँ हम सभी साथ थे ,और इस वक्त के झोखे में बिखर कर दुनिया की भीड़ में भटक गए ,पर उन यादो का क्या जो अभी तक जंजीर में जकड़ी है बस यही ठहर कर रह जाती है ,दूर नही होती ,उन्ही यादो को संजोये ये सफर चलता रहता है ,ऐसे ही कुछ अवसरों पे जब अतीत गहराई पकड़ने लगती है तभी कलम के सहारे उन बिछडे पलों का सफर तय होता है ,हर अहसास हर जज़्बात जो दिलो के दर से गुजरती है ,उसकी शुरुआत हमारे साथ से शुरू हुई और तभी महसूस किया इस दोस्ती भरे रिश्तों को ,प्रारंभ और अंत ,वही तक रहा ,जहाँ तक साथ उस रेगिस्तान में कितनी ठंडक थी ,जो अब हसीं वादियों में नही ,...