आभार
ब्लोगिंग का एक साल
कल भी , कभी कल हो जाएगा
अपने कदमो के निशां छोड़ जाएगा ।
एक अद्भुत और अनोखी दुनिया , जो मेरी कल्पना से बहुत परे रही , जो एक सौगात स्वरुप मुझे मिली । इस जगत से जोड़ने का श्रेय मेरी परम मित्र वंदना अवस्थी दुबे को जाता , जिसने स्नेह एवं अधिकार के साथ इस जहां में मेरी जगह बनाई , जहाँ मुझे अच्छे - अच्छे मित्र मिले , तथा उनके बीच मेरी पहचान भी कायम हुई ।
इस खुशबू भरे गुलिस्ता में जीवन महक उठा । इस जादू भरे पिटारे को जितनी बार खोली , उतनी दफे ही कुछ नया कुछ अनमोल खज़ाना पाया , जो इस जीवन को सार्थक करता रहा , इसका हौसला बढ़ाता रहा ।
कुछ लोग हमेशा मेरे हित में अपनी सलाह देते रहे , इस अपने पन से मुझे बेहद ख़ुशी होती रही , कुछ ब्लोगर बन्धु मेरी तबियत की फ़िक्र लिए बराबर हाल चाल पूछते रहे , आखिर यहाँ कोई ना उम्मीद कैसे हो सकता है जहाँ अपनत्व व स्नेह का दरिया है । कुछ साथी बराबर साथ बने रहे उनकी मैं आभारी ...