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दिसंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
रहमत है उस खुदा की गुजर हो रहा है , हर हाल मे यहां सबका बसर हो रहा है . ,,,,,,,,,,,,,,,, जिस बात पर यकीन कभी होता नही था उस बात पर यकीं अब हो रहा है . ........... इतनी घनी आबादी और आदमी अकेला कहने को उसे अपना कोई नही मिल रहा है . "''''''' आदमी अठन्नी और खर्चा रुपया शौक इस कदर हमे ले डूब रहा है . ुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुु मकान का नक्शा कुछ इस तरह बनने लगा है जो जमीन पर था वो आसमान पर बस रहा है . ,,,,,,,,, वाकई मे दुनिया बहुत बदल गई इस बात का इल्म हमे हो रहा है .