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मई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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गुमां नहीं रहा जिंदगी का जिंदगी पे अधिकार नही रहा इसीलिए उम्र का अब कोई हिसाब नही रहा , आज है यहाँ , कल जाने हो कहाँ साथ के इसका एतबार नही रहा , मोम सा दिल ये पत्थर न बन जाये हादसो...

सन्नाटा....

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चीर कर सन्नाटा श्मशान का सवाल उठाया मैंने , होते हो आबाद हर रोज कितनी जानो से यहाँ फिर क्यों इतनी ख़ामोशी बिखरी है क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ , हर एक लाश के आने पर तुम जश्न मना...

आदमी.....

आदमी जिं दगी के जंगल में अपना ही करता शिकार है , फैलाता है औरो के लिए जाल और फसता खुद हर बार है । .......................