गरीबी
इस जहां में गरीबी इतनी आसान नहीं यारो एक पेट के लिए आदमी कितना भटकता है यारो , कल के सूरज के लिए यहाँ कोई नहीं सोचता आज की शाम गुजर जाये यही बहुत है यारो , हर वक़्त वो इसकी फ़िक्र में घुलता रहता है रात से भी अधिक गहरा साया इसका है यारो , जीने के लिए तमाम कोशिशे करता रहता है वो आदमी जो है ,हिम्मत नहीं छोड़ता यारो , हालत इनकी संभल जाये हमेशा के लिए ही बस यही दुआ मिलकर अल्लाह से करो यारो ।