न्याय का हिसाब जब जब मुझे छोटा बनाया गया मेरे तजुर्बे के कद को बढ़ाया गया जब जब हँसकर दर्द सहा तब तब और आजमाया गया , समझने के वक्त समझाया गया क्या से क्या यहां बनाया गया , न्याय ...
शीर्षक --आदमी मुनाफे के लिए आदमी व्यापार बदलता है, खुशियों के लिए आदमी व्यवहार बदलता है , ज़िन्दगी के लिए आदमी रफ्तार बदलता है , देश के लिये आदमी सरकार बदलता है , तरक्की के लिए ...
तुम अपनी आदते बदल दो मैं अपने इरादे बदल दूंगी , तुम अपनी जिद्द छोड़ दो मैं जीने की वजह दे दूंगी , तुम अपने कदम बढ़ाओ मैं चलने की हिम्मत दे दूंगी , तुम अपने हाथ बढ़ाओ मैं बढ़कर थाम लू...
फिर से बच्चा बनना है बड़े होने पर सोचते रहे , बड़े होने की जल्दी रही जब हम बच्चे रहे । जो आसान नजर आया वही रास्ता नापते रहे , हर वक्त जिम्मेदारियों से हम दूर भागते रहे । जो नहीं ...
किस वादे पर इंसान कर बैठा नफरत करके कोई पहल इसे मिटा क्यों नहीं देते , क्यों पैदा करते है दिलो में ऐसी हसरत जो सब कुछ आकर यहाँ उजार है देते । ………........................................... आदमी जिंदगी के जंगल मे...
औरत वो सवाल है वो जवाब है वो खूबसूरत सा खयाल है , वो आज है वो कल है हर समस्याओ का हल है , वो सहेली है वो पहेली है दुनिया की भीड़ में अकेली है । वो मोती है वो ज्योति है वो इस सृष्टि में ...
पाना है तो देना है बात समझ ये लेना है । बात बराबर न हो तो बोझ न मन पर लेना है । तुम बेहतर हो ,कहकर मन को समझा लेना है । मौका कहाँ ये सबको मिलता बस इतना जान लेना है । रब तुम पर है मेहर...
कल उतना ही सुंदर हो जितना बचपन मेरा था । न जवाबों की जरूरत थी न सवालों का डेरा था । न मजहब का झगड़ा था न तेरा न मेरा था , जात-पांत का भेद न जाना मन से मन का फेरा था । जो कहता मन मेरा था ...
सच ही बोलती हूँ सच ही सुनती हूँ सच के लिए लड़ती हूँ सच के लिए सहती हूँ सच के व्यापार मे मुनाफा नही होता है बहुत अच्छी तरह से ये बात जानती हूँ , सच की कसौटी पर खड़ा उतरना आसान नही ये ...
सही ही गलत का है हकदार क्यों ? बेगुनाह को ही सजा हर बार क्यों ? गीता और कुरान का मान घटा क्यों ? सच जानते हुए भी झूठ चला क्यों ? यहाँ धर्म और ईमान डगमगाया क्यों ? यहाँ गलत करने का डर ख...