हिन्दुस्तान ....
हर मजहब से यहाँ मोहब्बत निभाते देखा
हर दिलो में यहाँ हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा ।
एक तिरंगा लहराता है सबके दिलो में
भेद भाव से हो जुदा हिन्दुस्तान पलते देखा ।
' म िले सुर मेरा तुम्हारा , तो सुर बने हमारा '
यही गीत तो जुबां - जुबां पे गुनगुनाते देखा ।
' स ारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा '
हर दिलो में अहसास यही गूंजते देखा ।
' परहित सरस धर्म नहीं भाई '
मानवता से बढ़कर रिश्ता नहीं देखा ।
की इबादत हमने अक्सर यहाँ इंसानियत की
' जय हिंद ' के नारे में नफरत मिटाते देखा ।
हर दिलो में ही ईमान जगमगाते देखा
कदम - कदम पर हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा ।
है हल्की सी बस एक धुंध ही यहाँ
धूप के आते ही कोहरा छटते देखा ।
है आकाश सारा और धरती जिसकी
सारे जहां में दूजा हिन्दुस्तान नहीं देखा ।