वैसा कुछ भी नहीं रहा

वैसा  कुछ  भी  नहीं   रहा  यहाँ  
जैसा  पहले  हुआ  करता  रहा  यहाँ 
वक़्त  के  दरिया  में  कल  बह  गया 
आज  हर  किसी  का  बदला  हुआ  है यहाँ     1

वक़्त  की  मांगे  करवटे  लेती  रहती  है  
उम्मीदे  बहुत  कुछ  बदल  देती  है  यहाँ 
आगाज़  से  बहुत  अलग  अंजाम  होता  है 
रिश्ते  बनते  है  जैसे  वैसे  रहते  नहीं  यहाँ  1 

टिप्पणियाँ

kshama ने कहा…
Bahut dino baad aapne likha hai...bada achha laga...maibhi baith ke likh nahi pati hun,isliye purani post punah prakashit karti hun.
Alpana Verma ने कहा…
bahut dino baad aap blog par aayi ho.Kaisee ho?
Kavita bhi acchee bhaavon bhari laaayi ho..
sach waqt bahut kuchh badal deta hai.
सुन्दर कविता के साथ वापसी सुखद लगी.... उम्मीद है कि अब लगातार उपस्थिति दर्ज़ कराओगी.
Asha Joglekar ने कहा…
Rishte jaise bante hain waise rahate nahee yahan.
sunder prastuti.
बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है
....बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट


संजय भास्‍कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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