हम अंत कभी नहीं चाहते .........
एकता और प्रेम की मिसाल
हम कायम करना चाहते थे ,
अमन और इंसानियत का हथियार
हम इस्तेमाल करना चाहते थे ,
मगर आक्रोश और जुनून में
खौलते हुए चंद विचार ,
अस्त्र -शस्त्र चलाने पर
हमें मजबूर करते रहे ,
इतिहास के पन्ने जो पहले
वीर गाथाओं से भरे थे ,
आज काले -काले धब्बो से
भरकर भद्दे होते जा रहे ,
समय को हम चाहते है रोकना
इतिहास को हम चाहते है बदलना
पर दोनों ही हमारे वश में नहीं रहे ,
हम अंत कभी नहीं चाहते थे
पर इसके भागीदार तो बने रहे ,
ऐसा लगता है मानो
इस युग के अंत को
हम बड़े नजदीक से है देख रहे ।
टिप्पणियाँ
RECENT POST : हल निकलेगा
मुझे अब भी उम्मीद नज़र आती है ज्योति कहीं-कहीं .... अगला साल तय करेगा हम अंत के कितने नज़दीक हैं.