जरा  ठहर  कर  देखते  है  
मंज़र  क्या  है  आगे  का  ,
बहुत  जरूरी  है  संभलना 
पता  चलता  नहीं  इरादो  का। 

टिप्पणियाँ

Alpana Verma ने कहा…
नया साल शुभ हो ज्योति.बहुत दिनों बाद दिखाई दी हैं.चित्र और कविता की पंक्तियाँ दोनों सुन्दर !

शीर्षक नहीं दिया कविता को?
Rakesh Kumar ने कहा…
सुन्दर कविता.
वास्तव में ठहर कर देखना
और संभलकर चलना जरुरी है.

शुभकामनाएँ ज्योति जी.
बहुत सुंदर प्रस्तुति
Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…
नया साल सबके लिए शुभ हो
सही कहा आपने । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
संभालना जरूरी है जीवन में ... कदम कदम पे दुश्वारियां होती हैं ...
Satish Saxena ने कहा…
जरा ठहर कर देख तो लेते, मंज़र क्या है आगे का !
बहुत जरूरी रहे संभलना ,किसको पता इरादों का !

कमाल के भाव हैं ! प्रभावशाली . . .

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