हादसा.....

रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई

दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई .

उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है

मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई.

अपनो से ही सब किनारा करने लगे

उम्मीद इस कदर यहां निलाम हो गई .

हादसा   हादसा और हादसा ही यहां

हर कहानी का सिर्फ उनबान हो गई .

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत खूब


सादर
लाजवाब और अर्थपूर्ण शेर हैं सभी ...
उम्दा और बेहतरीन... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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