तुम बस अपनी ही कहते हो

तुम  बस अपनी ही कहते हो

औरो की कब सुनते हो ?

औरो की जब सुनोगे

बात तभी तो समझोगे ।

न्याय एक पक्ष का नही

दोनों पक्षों का होता है ,

उसे तो तानाशाही कहते है

जहाँ कोई अपनी मनमानी करता है ।

कुछ कहने से पहले ही

सबको चुप करा देते हो ,

अपनी कमियों को तुम

चिल्ला कर दबा देते हो

तुम क्या जानो बात तुम्हारी

सब पर क्या असर छोड़ जाती है ,

पत्थरों से कौन टकराये __

कह कर सिर अपना बचाती है ।

टिप्पणियाँ

ज्योति सिंह ने कहा…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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