मन के मोती
आदमी, आदमी से आदमी का
पता पूछता है
खुदा का बंदा खुदा को
हर बन्दे में ढूँढता है ।
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शैतानों के बीच रहकर
इंसानो का गुजारा नामुमकिन
दोनों में से किसी एक का
बदलना है मुमकिन ।
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सिलसिला बरकरार रहा
हर दौर का, हर दौर में
शामिल रहा कुछ न कुछ
हर दौर का, हर दौर में ।
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जोश में होश
गवा बैठते है
बात तभी हम
बिगाड़ बैठते है ।
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ज़िन्दगी में बहार है तो
उम्र भी दरकार है
जिंदगी यदि बेजार है तो
उम्र भी बेकार है ।
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नमस्कार ,शुभ प्रभात मित्रों
टिप्पणियाँ
अच्छी हैं सभी चार लाइनें ...
गवा बैठते है
बात तभी हम
बिगाड़ बैठते है ।
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर सटीक सृजन।