छोटी छोटी दो रचना
नींव की पुनरावृति कर
खंडहर क्यो बुलंद करते हो ?
जर्जर हो गये जो ख्याल
उनमे हौसला कहाँ जड़ पाओगे ,
अतीत को वर्तमान सा न बनाओ
टूटे मन को कहाँ जोड़ पाओगे ।
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
दर्द से दर्द का श्रृंगार नहीं होता
दर्द से किसी को प्यार नहीं होता
दर्द का कोई व्यापार नही होता
दर्द का कोई साहूकार नही होता
दर्द का दर्द ही आप साथी हैं
दर्द से किसी को सरोकार नही होता।
टिप्पणियाँ
टूटे मन को कहाँ जोड़ पाओगे।
और दूसरी कविता में-
दर्द का दर्द ही आप साथी हैं
दर्द से किसी को सरोकार नही होता।
टूटी हुई कड़ियां जुड़ जातीं
तो दर्द कहां होता ।
बिखरे हुए न हम होते
न वो होता ।।
ऐ मेरे दिल,काश उनकी तरह
तू एक परिंदा होता
दर्द जमीं पे डाल देता,
उड़ रहा आसमां होता ।।
सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह....
दर्द से किसी को प्यार नहीं होता
दर्द का कोई व्यापार नही होता
दर्द का कोई साहूकार नही होता
दर्द का दर्द ही आप साथी हैं
दर्द से किसी को सरोकार नही होता।
बहुत ही सटीक लिखा आपने ज्योति जी दर्द पर लिखी आपकी रचना वाकई शानदार है।
हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में कभी दर्द ना आए
लेकिन सच्चाई तो यही है की ज़िन्दगी हो तो दर्द भी रहेगा।
सादर
दर्द की कोई परिभाषा नहीं होती।
न ही कोई नाप तोल जिसके पास जितना वहीं समझे कैसे चुकाता उसका मोल।
अप्रतिम।
दूसरी कविता तो दर्द पर है । दर्द पर दर्द क्या लिखें वाकई दर्द का कोई साथी नहीं
दर्द है तो खुद सहना
दर्द है तो छुपा लेना
दर्द को न सारे आम करना
दर्द है तो ज़िन्दगी है
ज़िन्दगी है तो दर्द है ।