युग परिवर्तन
.jpg) 
 न तुलसी होंगे, न राम  न अयोध्या नगरी जैसी शान .  न धरती से निकलेगी सीता ,  न होगा राजा जनक का धाम .  फिर नारी कैसे बन जाये  दूसरी सीता यहां पर ,  कैसे वो सब सहे जो  संभव नही यहां पर .  अपने अपने युग के अनुसार ही  जीवन की कहानी बनती है ,  युग परिवर्तन के साथ  नारी भी यहॉ बदलती है .