'हकीकत '

'हकीकत ' तेरी स्वयं की
वास्तविकता में भी ,
भिन्नता झलकती है ,
नज़र के सामने की तस्वीर
रूप क्यो बदलती है ?
दिखाती है कुछ ,किंतु
बयां कुछ और ही करती है ,
असलियत के भाव से सम्पूरण
गवाही फिर भी भिन्न -भिन्न
देती है ,
हकीकत के आइने में भी ,
सत्य हर क्षण छलती है

टिप्पणियाँ

Yogesh Verma Swapn ने कहा…
sunder rachna, jyoti ji, apni rachnayen thoda gap dekar post karen to aapke liye behtar hoga, kai baar aisa hota hai hum ek rachna padhte hain aur doosri post ho jaati hai , isse kai baar aapki rachna hum miss kar jaate hain.
ज्योति सिंह ने कहा…
achha laga aur aap ki baate dhyan me rakhungi .

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