आस -विस्वास
फिर सुबह होगी ,
फिर प्रकाश फैलेगा ,
फिर कोई नए ख्वाब का
दिन सुनहरा होगा ,
फिर पलकों पे सपने सजेंगे ,
उन सपनो में अरमान पलेंगे ,
उम्मीदों के दामन थामे ,
सारी रात जगेंगे ,
मन न कर तू छोटा ,
ख़ुद से कहते रहेंगे ,
स्वप्न कहाँ होते है पूरे ,
पर तेरे पूरे होंगे ,
आशाओ को थाम जकड़ के ,
सारी उम्र रटेंगे ,
हम भी अन्तिम साँसों तक ,
अपने ख्वाब बुनेंगे ,
मिथ्या आसो से बंधकर ,
सपनो से वादे होंगे ,
अनजाने में ही सही कभी
उम्मीद तो पूरे होंगे ,
पंखहीन होकर भी हम ,
आशाओ के उड़ान भरेंगे ,
कुछ ख्वाब हमारे ऐसे ही ,
ठहर कर पूरे होंगे ,
निराश न कर तू मन ,
कुछ ऐसे वक्त भी होंगे ,
ज़िन्दगी इतनी आसानी से ,
देती कहाँ सभी कुछ ,
संघर्षो के बिना है होता ,
हासिल कहाँ हमें कुछ ,
भाग्य रेखाओ को झुठलाते ,
आगे बढ़ते जायेंगे ,
रेखाओ के खेल है ,
बनते -मिटते रहते है ,
हर नए दिन जो आते है ,
उम्मीद लिए ढलते है ,
वादे तो ख्वाबो में पलते है ,
ये सिलसिले यूही चलेंगे
फिर प्रकाश फैलेगा ,
फिर कोई नए ख्वाब का
दिन सुनहरा होगा ,
फिर पलकों पे सपने सजेंगे ,
उन सपनो में अरमान पलेंगे ,
उम्मीदों के दामन थामे ,
सारी रात जगेंगे ,
मन न कर तू छोटा ,
ख़ुद से कहते रहेंगे ,
स्वप्न कहाँ होते है पूरे ,
पर तेरे पूरे होंगे ,
आशाओ को थाम जकड़ के ,
सारी उम्र रटेंगे ,
हम भी अन्तिम साँसों तक ,
अपने ख्वाब बुनेंगे ,
मिथ्या आसो से बंधकर ,
सपनो से वादे होंगे ,
अनजाने में ही सही कभी
उम्मीद तो पूरे होंगे ,
पंखहीन होकर भी हम ,
आशाओ के उड़ान भरेंगे ,
कुछ ख्वाब हमारे ऐसे ही ,
ठहर कर पूरे होंगे ,
निराश न कर तू मन ,
कुछ ऐसे वक्त भी होंगे ,
ज़िन्दगी इतनी आसानी से ,
देती कहाँ सभी कुछ ,
संघर्षो के बिना है होता ,
हासिल कहाँ हमें कुछ ,
भाग्य रेखाओ को झुठलाते ,
आगे बढ़ते जायेंगे ,
रेखाओ के खेल है ,
बनते -मिटते रहते है ,
हर नए दिन जो आते है ,
उम्मीद लिए ढलते है ,
वादे तो ख्वाबो में पलते है ,
ये सिलसिले यूही चलेंगे
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