आज.....
दिल   ये   मानता   है   उम्र  भर   
 साथ   कोई   चलता   नही   , 
 दिल   ये   समझ   नही   पाता 
 वो   तन्हा जी   सकेगा   कि नही  । 
 किसी   मुकिम की तलाश   में   
 ख्वाहिश   सदा   रही   साथ   चलने   की  , 
 निबाहे   जहाँ   वफ़ा   के   संग   
 मुकाम   वो   हो  कोई   दिल  का  भी  । 
 दुनिया   की   भीड़   में   होकर    भी  
 चाह   थी   हमें   किसी   अपने   की   , 
 तमाम   उम्र   का   हिसाब   है   किसके   पास  
 वर्तमान   में   भविष्य   को   तौलता   कोई   नही   । 
 सम्भव   हो   जहाँ   तक  , तब  तक   चल   
 आज   है   संग   हमराही  , 
 अभी   देखना   क्या   कल   
 कल   देखेंगे   कल   की   ।