गुरुवार, 24 सितंबर 2009

कभी -कभी ऐसा भी...........

दिन भर की भाग -दौड़ के बाद

जब बिस्तर पर लेटे होगे ,

और मेरे ख्यालों को लपेटे

आँखे मूँद सोचे होगे ,

अच्छी बुरी कई बातें

तुम्हारी नज़रों में होगी ,

पर मेरी बेतुकी बातें तुमको

तकलीफे दे रही होंगी

अनचाहे मन से मुझको

भला -बुरा कहते होगे ,

एक पल अपना

एक पल पराया

महसूस तुम्हे होता होगा ,

इतनी दुविधाओ में भी

चाहत नही मिटती होगी

और मेरी अच्छाई का

ख्याल उन्हें आता होगा ,

जिसकी वज़ह से ये बंधन

वही ठहर जाता होगा

20 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है ज्योति जी. रिश्तों के चढाव-उतार को बखूबी पेश किया है आपने.

रंजू भाटिया ने कहा…

आपका लिखा हुआ बहुत अच्छा लगा ,,,सही विवेचन किया है आपने

BrijmohanShrivastava ने कहा…

कौन क्या सोच रहा होगा यह सोचना भी ,और कौन क्या महसूस कर रहा होगा यह महसूस करना भी और उसे शब्दों की माला में पिरोना भी एक साहित्यकार की विशेषता है साथ ही जिसके वारे में लिखा जा रहा है उससे अपनत्व भी .सुंदर रचना

kshama ने कहा…

मेरे पहले दी गयी टिप्पणियों से सहमत हूँ !

सादगी , सरलता और संजीदगी ...इनका यह त्रिवेणी संगम है ...! किसी के मन में झाँक के लिखना आसान नही...जो इतना ब-खूबी आपने किया है...

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

khoobsurat bhav sanyojan.

jyoti ji, badhaai.

ज्योति सिंह ने कहा…

vandana ji ,yogesh ji ,ranjana ji,brijmohan ji,kshama ji aap sabhi ka shukriyan .

M VERMA ने कहा…

अच्छी बुरी बाते पूरक है एक दूसरे का. चाहत है तो वह इतनी आसानी से मिटती नही है. तल्खियो ने अक्सर रिश्तो को और प्रगाढ किया है.
रिश्तो का उतार चढाव उसे आयाम देता है
बखूबी आपने एहसास को शब्द दिया है.

के सी ने कहा…

आपका रचनाकर्म व्यवस्थित रूप से चल रहा है , रास्ते ऐसे ही निकालेंगे ऐसे ही बनेगी कोई ना भूलने वाली रचना, बधाई

Mishra Pankaj ने कहा…

बढिया रचना है बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

kishore ji ,verma ji,pankaj ji aap sabhi ki tippani bahut khoobsurat hai ,main tahe dil se aabhari hoon .shukriyan .

Himanshu Pandey ने कहा…

कविता की संवेदना ने आकृष्ट किया । आभार ।

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

ज्योति जी,

एक मासूमियत भरी अभिव्यक्ती से रिश्तों का बंधन मज़बूत और प्रगाढ़ होता हुआ वहीं ठहर जाता है....

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

ज्योति सिंह ने कहा…

himaanshu ji aur mukesh ji shukriya itni achchhi tippani ke liye .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा कुछ तो होता है जो बंधन खिंचा चला जाता है ........... टूटता नहीं ........... सुन्दर रचना है .......... लजवाब

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर रचना है इसके मन की बात को पढ लेना वो भी दूर रह कर क्या बात है बधाई और शुभकामनायें

मनोज भारती ने कहा…

एक पल अपना
एक पल पराया
महसूस तुम्हे होता होगा ,
इतनी दुविधाओ में भी
चाहत नही मिटती होगी ।
और मेरी अच्छाई का
ख्याल उन्हें आता होगा ,
जिसकी वज़ह से ये बंधन
वही ठहर जाता होगा ।

मनोज भारती ने कहा…

रिश्तों में नमनीयता और भावुकता का समावेश बहुत जरुरी है ।

और मेरी अच्छाई का
ख्याल उन्हें आता होगा ,
जिसकी वज़ह से ये बंधन
वही ठहर जाता होगा ।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

इतनी दुविधाओ में भी
चाहत नही मिटती होगी ।
और मेरी अच्छाई का
ख्याल उन्हें आता होगा ,
जिसकी वज़ह से ये बंधन
वही ठहर जाता होगा ।

सुन्दर और गहरे भाव से भरी आपकी ये कविता दिल को छू गई.

हार्दिक आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

daanish ने कहा…

mn ki kash.m.kash
aur andar hi ki udherh-bun ko
bayaan karti hui bahut achhee kavita....badhaaee .

---MUFLIS---

ज्योति सिंह ने कहा…

tahe dil se shukriyan aap sabhi ko .