वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत काआरम्भ भी वही और अंत भी वही ।बहुत ही सुंदर भाव लिये.धन्यवाद
intzar us din ka jis din aapakee rachana vedana ke bhav se hee pare ho .nav varsh aapake vartmaan ko khushiyon se bhar de isee aasheesh ke sath
बिलकुल सही कहा आपने।
भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया हैसुंदर रचना....Sanjay kumarhttp://sanjaybhaskar.blogspot.com
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत काआरम्भ भी वही और अंत भी वही ।nice
poori kvita bahut hi sundar
अच्छी लेखन शैली की प्रतीक हैं ...
ye purani rachna hai ,jo dalni thi uski taiyaari nahi rahi ,is karan ise dala ,magar aap sabhi ki tippani ne hausala badha diya ise pasand karke ,shukriyaan
ARE MUMMY KAISI HAI...AAPKA BETA SANJAY BHASKAR
कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,आज तक वैसी ही बनी रहीलाजवाब पंक्तियाँ
khoobsurat bhaav.
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत काआरम्भ भी वही और अंत भी वही ...शून्य से निकल कर शून्य में ले जाती हुई शशक्त रचना .........
bahut sunder abhivyakti.
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत काआरम्भ भी वही और अंत भी वही ...आपका वर्तमान भविष्य और अतीत. मेरी भी एक वर्तमान भविष्य और अतीत पर कविता तैयार है .कब पोस्ट कर पाती हूँ पता नहीं
Behad sundar abhiwyakti...! Kaash mai bhi aisa likh pati!
कल जैसा था भले ही आज वैसा हो पर भविष्य वैसा नहीं होगा उम्मीद है ......!!
हरकीरत जी से सहमत हूँ ।
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत काआरम्भ भी वही और अंत भी वही ।बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने...पुरानी कविता में भी लेखन कहीं कच्चा नहीं दिखता.बहुत गहन भाव इन पंक्तियों में.आभार.
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20 टिप्पणियां:
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर भाव लिये.
धन्यवाद
intzar us din ka jis din aapakee rachana vedana ke bhav se hee pare ho .
nav varsh aapake vartmaan ko khushiyon se bhar de isee aasheesh ke sath
बिलकुल सही कहा आपने।
बिलकुल सही कहा आपने।
भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया है
सुंदर रचना....
Sanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।nice
poori kvita bahut hi sundar
अच्छी लेखन शैली की प्रतीक हैं ...
ye purani rachna hai ,jo dalni thi uski taiyaari nahi rahi ,is karan ise dala ,magar aap sabhi ki tippani ne hausala badha diya ise pasand karke ,shukriyaan
ARE MUMMY KAISI HAI...
AAPKA BETA
SANJAY BHASKAR
कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,
आज तक वैसी ही बनी रही
लाजवाब पंक्तियाँ
khoobsurat bhaav.
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...
शून्य से निकल कर शून्य में ले जाती हुई शशक्त रचना .........
bahut sunder abhivyakti.
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...
आपका वर्तमान भविष्य और अतीत. मेरी भी एक वर्तमान भविष्य और अतीत पर कविता तैयार है .कब पोस्ट कर पाती हूँ पता नहीं
Behad sundar abhiwyakti...! Kaash mai bhi aisa likh pati!
कल जैसा था भले ही आज वैसा हो पर भविष्य वैसा नहीं होगा उम्मीद है ......!!
हरकीरत जी से सहमत हूँ ।
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने...
पुरानी कविता में भी लेखन कहीं कच्चा नहीं दिखता.
बहुत गहन भाव इन पंक्तियों में.
आभार.
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