मंगलवार, 2 मार्च 2010

यदि ऐसा ........



तुम जो हमें


समझ कही पाते ,


बेहतर हमसे


कुछ नही पाते ,


खलिश कोई


दिल में उठती ,


शक को फिर


जगह मिलती ,


चाँद -सितारे


जमीं पे सजते ,


रात हर फिर


तारोवाली होती,


शमा के लबो पे


रौशन हंसी रहती ,


जन्नत से बेहतर


जमीं ये होती ,


मिलकर जो संग


दास्तां बुनती ,


हर कदम पर


साथ जो चलती ,


पर सभी के ख्याल


"यदि "पर रुक जाते ,


कुछ कह पाते


समझा पाते




13 टिप्‍पणियां:

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

bahut sundar abhivyakti hai jyoti ji,
bahut badhiyaa ,mubaarak ho .

Apanatva ने कहा…

sabhee rishto kee buniyad hee aapsee samajh par tikee hai ye hai to sahee mayno me jannat yahee hai....
BAHUT SUNDER RACHANA HAI......... VARNA ?

aapkee mail maine dekh lee.
Lagta hai sparivar bahar gaye hai sabhee .
Ab fikr kum hui
DHANYVAD .

संजय भास्‍कर ने कहा…

हर कदम पर

साथ जो चलती ,

पर सभी के ख्याल

"यदि "पर रुक जाते ,

न कुछ कह पाते

न समझा पाते ।

lajwaab pankitiya....

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पर सभी के ख्याल
"यदि "पर रुक जाते

यदि ... इस शब्द का भी अपना ही महत्व है ..
बहुत अच्छा लिखा है ..

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

ज्योति जी, आदाब.

तुम जो हमें..समझ कही पाते...
बेहतर हमसे...कुछ नही पाते...

सच कहा आपने...दिल की भावनाओं को समझ लिया जाये..तो सभी शिकवे शिकायतें खुद ब खुद दूर हो जायें
सुन्दर रचना...बधाई

रचना दीक्षित ने कहा…

तुम जो हमें

समझ कही पाते ,

बेहतर हमसे

कुछ नही पाते ,
बहुत खूब,पर जो समझ कर भी समझाना न चाहे उसका क्या ?
पर वो जो सचमुच नहीं समझते वो ही यदि पर रुक जाते हैं
पर सभी के ख्याल

"यदि "पर रुक जाते ,

न कुछ कह पाते

न समझा पाते ।
अच्छी प्रस्तुती

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

umda.

ARUNA ने कहा…

बहुत खूब...वो चित्र काफी सुन्दर है!

kshama ने कहा…

Bahut sundar..'yadi' pe aake na jane kitne sapne ruk jate hain!

kunwarji's ने कहा…

mujhe to saari ki saari pasand aa gayi ji,
bahoot khoob wali baat hai ji..
kunwar ji,

के सी ने कहा…

खलिश हाय इस एक शब्द में भी कितना कुछ है