ख्वाब ...


ख्वाब एक
निराधार
बेल की तरह,
बेलगाम
ख्याल की तरह ,
असहाय डोलती
कल्पना है ,
जो हर वक़्त
कब्र खोद कर ही
ऊँची उड़ान भरती है ,
क्योंकि
उसका दम तोड़ना
निश्चित है

टिप्पणियाँ

हरकीरत ' हीर' ने कहा…
वाह बहुत खूब ......!!

ख्वाब कब्र खोद कर ही उडान भरते हैं .......!!
इस्मत ज़ैदी ने कहा…
ज्योति जी ,बहुत बढ़िया कविता सत्यता पर आधारित
बधाई
Apanatva ने कहा…
bahut shandar abhivykti.....
वाह.. बहुत सुन्दर कविता है.
कल्पना है ,
जो हर वक़्त
कब्र खोद कर ही
ऊँची उड़ान भरती है ,
क्योंकि
उसका दम तोड़ना
निश्चित है ।
बहुत सुन्दर.
Alpana Verma ने कहा…
khwaab kee bahut khuub paribhasha di hai.
bahut badhiya!
कितनी सहजता से इतनी बड़ी बात को सामने रख दिया....बहुत ही बढ़िया
मनोज भारती ने कहा…
सुंदर ...ख्वाब बेलगाम ख्याल है जो अपनी कब्र पर ही उड़ान भरता है । सुंदर दर्शन ...
राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत सुंदर जी, साथ मै चित्र भी मन भावन धन्यवाद
mukti ने कहा…
बहुत अच्छी लगी कविता. एकदम नयी सोच है... नयी कल्पना... ख़्वाब कब्र खोदकर उड़ान भरते हैं... कोई सोच भी नहीं सकता.
खूबसूरत तस्वीर जैसे लफ़्ज़...
बधाई.
priyadarshini ने कहा…
बहुत खूब ।शायद अभी तक आपके द्वारा लिखी ग ई कविताओ मेँ से सबसे बेहतरीन कविता
Unknown ने कहा…
ज्योति जी, इस कविता में भाव स्पष्ट हैं, अच्छी कविता.
ख्वाब असहाय डोलती कल्पना....सुन्दर अभिव्यक्ति
एकदम नयी सोच है बहुत खूब ......!!
ख्वाब एक
निराधार
बेल की तरह,
कल्पना है ,
जो हर वक़्त
कब्र खोद कर ही
ऊँची उड़ान भरती
ख्वाब का अंत तो निश्चित ही है ... बहुत अच्छा लिखा है ...
kshama ने कहा…
Are! Yah rachana meri blog soochi me kyon na dikhayi dee?

Chhoti-si yah rachna,kitni vilakshan badi aur gahari baat kahti hai!
vandana gupta ने कहा…
वाह्……………गज़ब के भाव उमडे हैं……………अति सुन्दर्।

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