आशाओ के दीप जलाये
हर बार ये कहते आये है
हर बार ये सुनते आये है ,
इस तिरंगे के नीचे हमने
बहुत से प्रण उठाये है ।
पर इस पर्व के जाते ही
हम सब बिसर जाते है ,
सिर्फ कोरे वादे करके ही
सच्चे देशभक्त बन जाते है ।
अपने वीरो जैसा जुनून
हम क्यों नही पैदा कर पाये ,
जो देकर आहुति प्राणों की
इस देश की जान बचाये ।
धरती माँ के पोछे आंसू
सीना छलनी होने से बचाये ,
बनके उनके सच्चे सपूत
जीवन को सफल बनाये ।
हो हरियाली इस धरती पर
आशाओ के दीप जलाये ।
जय हिंद ।
सभी बंधुओ को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ,सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा । मजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना ,प्राण मित्रो भले ही गवाना ,पर न झंडा ये नीचे झुकाना । वन्दे मातरम् वन्दे मातरम वन्दे मातरम् ।
टिप्पणियाँ
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
गणतंत्र दिवस की बधाई.....
सस्नेहाभिवादन !
राष्ट्र भावना से ओत-प्रोत आपकी काव्य रचना के लिए आभार ! सुंदर भावनाओं की सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हम क्यों नही पैदा कर पाये ,
जो देकर आहुति प्राणों की
इस देश की जान बचाये ।
प्रेरणा से ओत-प्रोत रास्त्र प्रेम की पंक्तियाँ ....
ज्योति जी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ....!!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
gantantra divas par hardik shubhakamanayen.
Gantantr diwas bahut,bahut mubarak ho!
हम क्यों नही पैदा कर पाये ,
बहुत सुन्दर कविता है ज्योति. शुभकामनाएं भी.
अच्छी रचना है.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं.