
संगीत की देवी वीणावादिनी
जय मां शारदे, विद्यादायिनी.
तेरा वैभव असीम अपार
पूजे तुमको विश्व-संसार.
अद्वितीय प्रभा की प्रतिमा तुझमें,
मुख ज्योति से प्रस्फुटित होती किरणें,
उन किरणों से हर लेती तू
जग की सारी यामिनी, वीणावादिनी.
दुनिया के क्लेषों से रहती है
दूर सदा
अपने भक्तों को संवारती
वरदानों से सदा
तेरी करुणा के सागर में,
दया का भाव बंधा
सुन ले विनती हे मां,
लक्ष्यों को मेरे जीवन से बांध.
कमल की सेज पर सुशोभित
जय हो तेरी हंसवाहिनी
पुस्तक-धारिणी
दया-दायिनी.
17 टिप्पणियां:
अपने मानस पुत्रों पर दया कर हे देवि।
बढ़िया लगी यह शारदा वंदना ! शुभकामनायें !
आपकी रचना ने समय बाँध दिया है.
बेहतरीन.
ढेरों शुभ कामनाएं.
शारदा वंदना बहुत सुंदर जी, धन्यवाद
Behad sundar sharda vandana likhi hai aapne!
बहुत सुन्दर वंदना. आज से ही बसन्त पंचमी का अहसास होने लगा.
बहुत सुन्दर वन्दना.....माँ भारती का आशीष सब पर बना रहे.
माँ भारती की वन्दना पर एक रचना मेरी भी....
अगर नहीं ये सब हो संभव बस इतना कर माता.
तेरा मेरा ख़तम करो, हो सबका सब से नाता.
पूरी कविता यहाँ है..
http://swarnakshar.blogspot.com/
माँ शारदा के शुभ आशीष
अच्छी लगी यह वंदना !!!
बहुत अच्छी स्तुति माँ शारदा की. मन प्रसन्न प्रसन्न हो गया.
शुभ कामनाएं
माँ शारदा की बेहतरीन वंदना ।
वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
बसंत पंचमी के अवसर पर प्रस्तुत की गई सुंदर सरस्वती वन्दना
बधाई हो sahityasurbhi.blogspot.com
माँ वीणा पाणी के चरण कमलों में आपके सुरभित भाव-पुष्प बहुत रच रहे है !
माँ शारदे की अनुकम्पा आप पर यूँ ही बनी रहे !
आदरणीया ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत सुंदर वंदना है-
तेरा वैभव असीम अपार
पूजे तुमको विश्व-संसार
मां की कृपा हम सब पर बनी रहे , अस्तु !
मां शारदे के चरणों में मेरा भी वंदन …
जय वागीशा हंसवाहिनी ,महाश्वेता ब्रह्मचारिणी !
नमो शारदे प्रज्ञा शुक्ला वीणा - वाङ्मय - धारिणी !!
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
एक निवेदन...............सहयोग की आशा के साथ.......
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
वसंतागमन पर माँ शारदे को नमन.
'Daya ka bhav bandhaa sun le vinati
he maa, lakshayon ko mere jivan se baandh'
Ati sunder kamana aur bhavana hai aapki.Yadi laksshaya jivan me bandh jaaye to jivan hi safal ho jaaye.
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