इस जहां में गरीबी इतनी आसान नहीं यारो
एक पेट के लिए आदमी कितना भटकता है यारो ,
कल के सूरज के लिए यहाँ कोई नहीं सोचता
आज की शाम गुजर जाये यही बहुत है यारो ,
हर वक़्त वो इसकी फ़िक्र में घुलता रहता है
रात से भी अधिक गहरा साया इसका है यारो ,
जीने के लिए तमाम कोशिशे करता रहता है
वो आदमी जो है ,हिम्मत नहीं छोड़ता यारो ,
हालत इनकी संभल जाये हमेशा के लिए ही
बस यही दुआ मिलकर अल्लाह से करो यारो ।
एक पेट के लिए आदमी कितना भटकता है यारो ,
कल के सूरज के लिए यहाँ कोई नहीं सोचता
आज की शाम गुजर जाये यही बहुत है यारो ,
हर वक़्त वो इसकी फ़िक्र में घुलता रहता है
रात से भी अधिक गहरा साया इसका है यारो ,
जीने के लिए तमाम कोशिशे करता रहता है
वो आदमी जो है ,हिम्मत नहीं छोड़ता यारो ,
हालत इनकी संभल जाये हमेशा के लिए ही
बस यही दुआ मिलकर अल्लाह से करो यारो ।
4 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना शनिवार 08/02/2014 को लिंक की जाएगी............... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
कृपया पधारें ....धन्यवाद!
जीने के लिए तमाम कोशिशे करता रहता है
वो आदमी जो है,हिम्मत नहीं छोड़ता यारों ... लाजबाब,बेहतरीन प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
बहुत ही प्रशंसनीय प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
यही तो है पूर्णता की खोज
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