शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

औरत

बहुत कुछ बदला है
बहुत कुछ बाकी है।
एक रोज़ वो सबकुछ मिलेगा,
औरत जो यहाँ चाहती है।

8 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ज़रूर मिलेगा सब कुछ ... ओरत की हिम्मत पहाड़ से भी ज़्यादा है और वो पास लेगी जो उसे चाहिए ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

क्या कहने, बहुत सुंदर

vandan gupta ने कहा…

आमीन

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह.... एक बार फ़िर स्वागत है इस शानदार कविता के साथ तुम्हारा..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सही

Jyoti Singh ने कहा…
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Jyoti Singh ने कहा…
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Jyoti Singh ने कहा…
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