शुक्रवार, 10 मई 2019

सन्नाटा....


चीर कर सन्नाटा

श्मशान का

सवाल उठाया मैंने ,

होते हो आबाद

हर रोज

कितनी जानो से यहाँ

फिर क्यों इतनी ख़ामोशी

बिखरी है

क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,

हर एक लाश के आने पर

तुम जश्न मनाओ

आबाद हो रहा तुम्हारा जहां

यह अहसास कराओ .

6 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/05/2019 की बुलेटिन, " प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १६२ वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

ज्योति सिंह ने कहा…

धन्यवाद आपका

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हर एक लाश के आने पर

तुम जश्न मनाओ

आबाद हो रहा तुम्हारा जहां

यह अहसास कराओ .
बहुत खूब....

संजय भास्‍कर ने कहा…

तुम जश्न मनाओ

आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

Jyoti Singh ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद संजय