ख्यालो की दौड़ कभी
थमती नही
कलम को थाम सकू
वो फुर्सत नही ,
जब भी कोशिश हुई
पकड़ने की
वक़्त छीन ले गया ,
एक पल को भी
रूकने नही दिया ,
सोचती हूँ
इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ,
या जमीं को भी
कभी हसीं बनायेंगे l
आपकी तहे दिल से आभारी हूँ ,यशोदा जी
बेहतरीन रचना
बहुत सुंदर रचना.मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बहुत मर्मस्पर्शी....कई भावों को संजोये
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4 टिप्पणियां:
आपकी तहे दिल से आभारी हूँ ,यशोदा जी
बेहतरीन रचना
बहुत सुंदर रचना.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
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