एक छोटी सी लड़की कब
नासमझ से समझदार हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
लापरवाह से जिम्मेदार हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
खुले आकाश में उड़ते -उड़ते पिंजरे में बंद हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
यहाँ लड़को से कम हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
दुनिया की भीड़ में गुम हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
चहकते-चहकते गुमसुम हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
खुद से ही पराई हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
औरों के मन की हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
अक्लमंद से बेअक्ल हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
खुशियों से दूर हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
इतनी मजबूर हो गई ।
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एक छोटी सी लड़की --दो रूप ---दूसरा
एक छोटी सी लड़की कब
प्यारी से बेचारी हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
दुआओं से निकलकर बद्दुआ हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
निर्भयता छोड़ भय में गिरफ्तार हो गई
एक छोटी सी लडक़ी कब
जीते जी जिंदा लाश हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
जीवन से निराश हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
देवी से दरिंदों की शिकार हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
जवाब नहीं सवाल हो गई
एक छोटी सी लड़की कब ।
फूलों को छोड़ कांटों की सहेली हो गई
एक छोटी सी लड़की कब
अनसुलझी सी पहेली हो गई
एक छोटी सी लड़की ही
जान नहीं पाई
वो कब
छोटी नही बड़ी हो गई ।
6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.03.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3638 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ,दिल से आभारी हूँ मैं
लड़कियाँ ऐसे ही छोटी से बड़ी हो जाती हैं और फिर जिम्मेदार नारी । लिखती रहना , ये क्रम अब टूटना नहीं चाहिए ।
जी जरूर ,हृदय से आभारी हूँ आपकी ,बहुत अच्छी टिप्पणी दीदी ,
छोटी सी लड़की को ऐसा बनाने वाले भी हम ही है बस कोशिश अब इस छोटी सी लड़की का बचपन बनाए रखने की करते रहना है।
पल्लवी जी बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुंदर टिप्पणी के लिए ,कोशिश कामयाब हो यही उम्मीद है ।
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