रंगीला हिन्दुस्तान
जब कभी समाचार देखती हूं,
या खाली बैठती हूं,
देश की स्थिति का
मुआयना करने लगती हूं,
और सोचती हूं,
कुछ लिखूं।
अपने रंगीले हिन्दुस्तान पर
पर जब लिखने बैठती हूं
शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
और तस्वीर सभी एक एक कर
सामने आकर बोलने लगतीं है
अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-
और कहती है-
क्या लिखोगे?
इतनी शब्द और शक्ति है, तुम्हारी इस कलम के पास?
जो कैद कर दे सब,
तुम्हारे कुछ पलों में।
नही कर पाओगे
अगर आवाज़ उठाओगे तो
हार जाओगे या बिक जाओगे।
ये कलम आध में ही
दम तोड़ देगी,
मंजिल तक ले जाना
मुमकिन नहीं।
इसलिये खयाल छोड़ो
क्रांतिकारी विचार तोड़ो
बड़ी खुशी से
पन्द्रह अगस्त पर
झंडे को सलाम ठोंको
सच्चे और देश प्रेमी होने का
फ़र्ज़ अदा करो।
जय हिन्द.
टिप्पणियाँ
पर जब लिखने बैठती हूं
शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
और तस्वीर सभी एक एक कर
सामने आकर बोलने लगतीं है
अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-
ज्योति जी,
आपने बहुत सटीक सवाल उठाएं हैं....
वो कहते हैं न....
’फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
अच्छी कविता
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
हार जाओगे या बिक जाओगे
अंजाम से डरना कैसा बहुत ही सुंदर रचना बधाई
काफी समय बाद पोस्ट डाली आपने. आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.
बहुत दिनों बाद ?और इंदौर भोपाल से आने के बाद आप तो खबर कर रही है ?
वैसे मै अभी १५ दिन से बेंगलोर में हूँ |
बहुत अच्छी रचना |क्या करे ?हाथ से सब कुछ फिसलता जा रहा है मुठी की रेत की तरह कुछ ऐसे ही भाव लगे मुझे आपकी कविता के और इसी में हमको सब कुछ बचाए रखना है |
ये कलम आध में हीदम तोड़ देगी,मंजिल तक ले जाना मुमकिन नहीं'
कितना कुछ कह दिया इन पंक्तियों में आप ने..
सच, रस्म अदायगी मात्र से लगते हैं अब ये दिवस भी.
अच्छी और सामायिक रचना.
आभार...
पर जब लिखने बैठती हूं
शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
और तस्वीर सभी एक एक कर
सामने आकर बोलने लगतीं है
अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-
कैसी होती है ये आज़ादी ......?
यहाँ तो सांस भी घुटती है .....!!
सुंदर रचना.