फकीर



ये रास्ते है अदब के

कश्ती मोड़ लो ,

माझी किसी और

साहिल पे चलो

हम है नही खुदा

है खास ही ,

राहे - तलब अपनी

कुछ है और ही

नाराजगी का यहाँ

सामान नही बनना ,

वेवजह खुद को

रुसवा नही करना

बे अदब से गर्मी

माहौल में बढ़ जायेगी ,

कारण तकलीफ की

हमसे जुड़ जायेगी

हमें हजम नही होती

इतनी अदब अदायगी ,

चलते है साथ लिए

सदा सच्चाई -सादगी

फितरत हमें खुदा ने

बख्शी है फकीर की ,

ले चलो मोड़ कर

मुझे अपनी राह ही


टिप्पणियाँ

kshama ने कहा…
"Fitrat hame bakshee hai faqeer kee....."Kya khoobsoorat khayal hai!
Rachana behad sanjeeda lagee!
SATYA ने कहा…
sundar prastuti,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog
गहरा एहसास लिए रचना ...
राज भाटिय़ा ने कहा…
जबाब नही जी, बहुत गहरी बात कह दी आप ने इस कविता मै धन्यवाद
बहुत ही अच्छी लगी यह रचना.. बहुत गहरी बात कह दी आप ने.......
अदब के मोड़ बड़े ही घुमावदार हैं।
शोभना चौरे ने कहा…
adb aur beadbi ka achha vishleshan kiya hai aapne
चलते हैं साथ लिए सदा सादगी सच्चाई
फ़ितरत हमें खुदा ने बख्शी फ़कीर की
ले चलो मोड़ कर मुझे अपनी राह ही...
ज्योति जी,
बहुत ही अच्छे तरीके से
आपने सादगीपूर्ण जीवन के महत्व को प्रस्तुत किया है. बधाई.
Udan Tashtari ने कहा…
बहुत जबरदस्त बात..वाह!
के सी ने कहा…
बहुत खूबसूरत !
Akhilesh pal blog ने कहा…
bahoot sundar likha jyoti ji ne
SATYA ने कहा…
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
वाह!वाह!
फितरत हमें खुदा ने

बख्शी है फकीर की ,

ले चलो मोड़ कर

मुझे अपनी राह ही ।


बहुत गहरी बात कह दी आप ने
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
आनन्ददायक रचना ।
हमें हजम नही होती
इतनी अदब अदायगी,
चलते है साथ लिए
सदा सच्चाई -सादगी।
फितरत हमें खुदा ने
बख्शी है फकीर की,
ले चलो मोड़ कर
मुझे अपनी राह ही।

ज्योति जी,
जय हो!
आशीष
फितरत हमें खुदा ने

बख्शी है फकीर की ,

ले चलो मोड़ कर

मुझे अपनी राह ही ।------------------------------बहुत दार्शनिक भावों को सुन्दर शब्दों में बयान किया है आपने।
vikram7 ने कहा…
चलते है साथ लिए

सदा सच्चाई -सादगी ।

फितरत हमें खुदा ने

बख्शी है फकीर की ,

ati sundar rachana ke liye badhaaii
SATYA ने कहा…
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