खामोशी
खड़ी खड़ी मैं देख रही,
मीलों की खामोशी,
नहीं रही अब इस शहर में,
पहली सी हलचल सी।
खामोशी का अफसाना क्यों ,
ये वक्त लगा है लिखने,
जख्मों से हरा-भरा
ये शहर लगा है दिखने।
देकर कोई आवाज़ कहीं से
ये तोड़ो लम्बी खामोशी।
बेहतर लगती नहीं कहीं
गलियों में फिरती खामोशी।
मीलों की खामोशी,
नहीं रही अब इस शहर में,
पहली सी हलचल सी।
खामोशी का अफसाना क्यों ,
ये वक्त लगा है लिखने,
जख्मों से हरा-भरा
ये शहर लगा है दिखने।
देकर कोई आवाज़ कहीं से
ये तोड़ो लम्बी खामोशी।
बेहतर लगती नहीं कहीं
गलियों में फिरती खामोशी।
टिप्पणियाँ
'खामोशी का अफसाना क्यों
ये वक़्त लगा है लिखने,
ज़ख्मों से हरा-भरा
ये शहर लगा है दिखने !'
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! अल्फाज़ सलीके से आये हैं और मर्म को छूते हैं... बधाई !
ये वक्त लगा है लिखने isme ,zara
में jod de to baat ban jaayeबाकि हम तो कब से तरस गयी आपको पढने ,.............
Regards.
ये वक्त लगा है लिखने,
जख्मों से हरा-भरा
ये शहर लगा है दिखने।
IS SHAHER KE JAKM SE HI TO NIKAL RHI HAI KHAAMOSHI ... UMDAA RACHNA HAI ...
ये तोड़ो लम्बी खामोशी।
बेहतर लगती नहीं कहीं
गलियों में फिरती खामोशी।
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ये वक़्त लगा है लिखने,
ज़ख्मों से हरा-भरा
ये शहर लगा है दिखने !'
बेहतरीन पंक्तियाँ.
हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आप तो कमाल लिखती हैं वाह वाह वाह !!!
Bahut pasand aayi aapki yah rachna.
आपकी यह रचना पढ़ कर मुझे ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा हादसा हुआ हो और शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया होक्योंकि इसमें "मीलों ""खामोशी शब्द प्रयुक्त हुआ है ,एक शब्द और प्रयोग किया है आपने "जख्मों से भरा ""जिससे मेरे सोच को बल मिलागलियों में खामोशी अच्छी नहीं लगती इसे तोड़ो इससे भी ऐसा लगा जैसे कर्फ्यू लगे ज्यादा दिन हो गए हों और यदि अन्य द्रष्टिकोण से रचना लिखी है तो वह इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति अकेले में डरता है क्योंकि अकेले में स्वम से सामना होता है ,वह हम करना नहीं चाहते ,रेडियो खोल लेंगे ,टीवी ऑन कर देंगे सोचते है कोई आजाये बच्चा ही सही उससे बातें करने लगेंगे ,अखवार उठा लेंगे पत्रिका पढने लगेंगे कभी कभी ऐसा भी होता है कि अपने ही घर में बुरा बुरा सा लगने लगता है ,इतना बुरा जैसे कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो गई हो | खामोशी सब तोड़ना चाहते है बस जश्न हो ++जश्ने शादी न सही जश्ने मैयत ही सही |
कुल मिला कर रचना बहुत उत्तम बन गई है ,वधाई