दिल ये मानता है उम्र भर
साथ कोई चलता नही ,
दिल ये समझ नही पाता
वो तन्हा जी सकेगा कि नही ।
किसी मुकिम की तलाश में
ख्वाहिश सदा रही साथ चलने की ,
निबाहे जहाँ वफ़ा के संग
मुकाम वो हो कोई दिल का भी ।
दुनिया की भीड़ में होकर भी
चाह थी हमें किसी अपने की ,
तमाम उम्र का हिसाब है किसके पास
वर्तमान में भविष्य को तौलता कोई नही ।
सम्भव हो जहाँ तक ,तब तक चल
आज है संग हमराही ,
अभी देखना क्या कल
कल देखेंगे कल की ।
11 टिप्पणियां:
सम्भव हो जहाँ तक ,तब तक चल
आज है संग हमराही ,
अभी देखना क्या कल
कल देखेंगे कल की ।
वर्तमान को पूरी शिद्दत से जी लेने की और कल के बारे मे सकारात्मक रुख रखने की आपकी सोच प्रभावित करती है..
बहुत उम्दा भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति.
आपको विजयादशमी की बधाई!
uttam rachna. badhaai.
बहुत ही सुंदर भावो की अभिव्यक्ती |
बधाई
आज है संग हमराही ,
अभी देखना क्या कल
कल देखेंगे कल की ।
और फिर
दिल ये मानता है उम्र भर
साथ कोई चलता नही ,
बहुत सही भाव और सम्प्रेषण.
सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
aap sabhi logo ka shukriya .aur saath hi vijyadashmi ki badhai .
jyotiji bahut sundar bhav ke sath liye huye hai yh rachna .
bdhai
tarif ke liye shukriya shobhna ji.
achhi abhivyakti he/ behatar dhhng se chune shbdo ko sarlta prdaan ki gai he/
shukriyan amitabh ji .
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