नारी तुझसे ये संसार ......






नारी दुर्गा का अवतार


शक्ति जिसमे असीम अपार ,





नारी शारदा सा रूप संवार


बहाये प्रेम - दया की धार ,


नारी लक्ष्मी का ले अधिकार


संयम से चलाये घर संसार ,


त्रिशक्ति को करके धारण


करती विश्व का ये कल्याण


"जहां होता नारी का सम्मान


वही बसते है श्री भगवान ",


सदियों पुरानी ये कहावत


अटल सत्य के है समान


हृदय के गहरे सागर से


पाया सबने अथाह प्यार ,


ममता ,करुणा,दया क्षमाधात्री


तेरी महिमा का नही पार ,


हे जगजननी ,कष्ट निवारणी


हाथ तेरे अन्नपूर्णा का भण्डार ,


फिर, तुझ पर अन्यायों का


क्यों होता रहता है प्रहार ?


बिन नारी घर भूत का डेरा


नारी से सुशोभित घर -द्वार ,


जो हारी इसकी उम्मीदे


समझो , है ये हमारी हार ,


जो हारी इसकी उम्मीदे


समझो ये है विश्व की हार



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जहाँ स्नेह मिला वही बाती सी जली

मोम की तरह गल -गल जलती रही

???????????????????????????????



























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टिप्पणियाँ

शरद कोकास ने कहा…
जो हारी इसकी उम्मीदे/समझो यह है विश्व की हार ..काश विश्व इसे समझ सकता !!
Alpana Verma ने कहा…
जो हारी इसकी उम्मीदे

समझो ये है विश्व की हार ।
बहुत ही सही!

पसंद आई यह कविता ज्योति जी .
महिला दिवस की शुभकामनाएँ .
Randhir Singh Suman ने कहा…
nice.......................
इस्मत ज़ैदी ने कहा…
ज्योति जी,नमस्कार ,
बिलकुल सही तस्वीर पेश की है आपने ,
आज बहुत कुछ बदल गया है फिर भी चित्र पूरी तरह नहीं बदल पाया है नारी की कभी न कभी तो उम्मीद हार ही जाती है चाहे वो उस की भावुकता के कारण हो या ममता के और हमेशा वो हारती भी नहीं बल्कि अपनी इच्छाओं और आशाओं की बलि दे देती है,
बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई .
Yogesh Verma Swapn ने कहा…
achche bhavon ke saath ek anoothi prastutu.
ज्योति जी...
जहा प्यार मिला वही बाटी सी जली है..
मोम की तरह जल जल गलती रही है..

वाह , ये पंक्तिया तो दिल ले गयी...१६ आने सच कहा है..छोटी से बात में पूर्ण वजूद भर दिया नारी का.

सशक्त रचना. बधाई.
"जहां होता नारी का सम्मान
वही बसते है श्री भगवान ",...

सत्य वचन ... नारी का सम्मान शक्ति का सम्मान है....
BrijmohanShrivastava ने कहा…
दुर्गा शारदा लक्ष्मी तीनो रूप में अपना कर्तव्य निबाहती | करें देवता बास जहां नारी का हो सम्मान यही बात कभी मनु ने भी कही थी | आपने सही लिखा है कि क्षमा ,करुणा ,ममता की साकार प्रतिमा होती है नारी |अन्नपूर्णा है संयम से घर चलाती है ,प्रेम दया की धारा बहाती है जिसमे असीम और अपार शक्ति है उस पर भी अन्याय का प्रहार होता है | जो मोंम की तरह गल गल कर जलती है जहां स्नेह मिला वहीं जली बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने | लक्ष्मी के रूप में संयम से घर चलाये ,दुर्गा की शक्ति ,शारदा के रूप में प्रेम दया |यदि इस शारदा वाली लाइन में कुछ बुद्धि का जिक्र भी हो जाता तो अच्छा रहता |गल गल जलती रही के बाद बहुत स्थान छूटा हुआ है |
सुदर अभिव्यक्ति.
महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
नारी शारदा सा रूप संवार

बहाये प्रेम - दया की धार ,

नारी लक्ष्मी का ले अधिकार

संयम से चलाये घर संसार

महिला दिवस पर एक बहुत अच्छी प्रस्तुती
पसंद आई यह कविता ज्योति जी .
महिला दिवस की शुभकामनाएँ .
महिला दिवस की शुभकामनायें
के सी ने कहा…
जय हो
आपके शब्द भी सामर्थ्य प्रदान करेंगे
Apanatva ने कहा…
sshakt rachana......

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