यकीन



यकीं बन कर आए


चाहो तो रोक लो,


वरना क्या जाने कब


धुँआ बन उड़ जाए


इस एतबार का कुछ


कहा जाए,


कुछ पहले साथ


आगे धोखा दे जाए

टिप्पणियाँ

बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
एक चेतावनी सी देती रचना.....अच्छी लगी
सच ही कहा आपने, एक बहुत सच्ची बात
राज भाटिय़ा ने कहा…
वाह क्या बात है. अति सुंदर भाव
सुन्दर रचना, सुन्दर तस्वीर के साथ. आभार.
Sahi hai .. ye eitbaar kabhi kabhi sahi vaqt par dokha de jaata hai ..
Alpana Verma ने कहा…
वक्त कब क्या रंग बदले कौन जाने?
'यकीन बन कर आये ..चाहो तो रोक लो '..सच्चे भाव हैं.
इस्मत ज़ैदी ने कहा…
बढ़िया प्रस्तुति
Apanatva ने कहा…
panee ke bulbule sa hota hai ye...........
sandesh lite achee rachana......
गहन चिन्तन मंथन.
अच्छी लगी रचना.
शमीम ने कहा…
सुन्दर रचना.
Unknown ने कहा…
ज्योति जी, लगभग सभी कवितायें मैने आपकी पढीं.आप अच्छा लिखती हैं. लेकिन आपकी कुछ कविताओं में भाव स्पष्ट नहीं हो पाया, आप कविता में कहना क्या चाहतीं हैं. अभी और मेहनत कीजिये. शुभकामनायें.
स्वाति ने कहा…
इस एतबार का कुछ

कहा न जाए,

कुछ पल पहले साथ

आगे धोखा दे जाए।

सुन्दर रचना!!
kshama ने कहा…
Yah baat, jeevan path pe chal ke hee samajh sakte hain!

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