याचना
आहिस्ते -आहिस्ते आती शाम
ढलते सूरज को करके सलाम ,
कल सुबह जो आओगे
लपेटे सुनहरी लालिमा तुम ,
आशाओं की किरणे फैलाना
मंजूर करे जिससे , ये मन ।
कण -कण पुलकित हो जाए
तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
जन -जन में भरकर निराशा
न रोज की तरह ढल जाना ,
आशाओ के साथ उदय हो
खुशियों की किरणे बिखराना,
करती आशापूर्ण याचना
हाथ जोड़कर आती शाम ,
रवि तुम्हे संध्या बेला पर
करू उम्मीदों भरा सलाम ।
ढलते सूरज को करके सलाम ,
कल सुबह जो आओगे
लपेटे सुनहरी लालिमा तुम ,
आशाओं की किरणे फैलाना
मंजूर करे जिससे , ये मन ।
कण -कण पुलकित हो जाए
तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
जन -जन में भरकर निराशा
न रोज की तरह ढल जाना ,
आशाओ के साथ उदय हो
खुशियों की किरणे बिखराना,
करती आशापूर्ण याचना
हाथ जोड़कर आती शाम ,
रवि तुम्हे संध्या बेला पर
करू उम्मीदों भरा सलाम ।
टिप्पणियाँ
एक शेर के बहाने अपनी बात कहने की कोशिस की है मैने...
उम्दा लेखन
डा.अजीत
प्यारी रचना ..... अच्छा लगा पढ़कर
http://techtouchindia.blogspot.com
or
http://techtouch.tk
खुशियों की किरणें बिखराना...
सार्थक...
आशा का संचार करती रचना.
कण -कण पुलकित हो जाए
तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
वाह !बहुत बढ़िया!
तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
जन -जन में भरकर निराशा
न रोज की तरह ढल जाना ,
रवि तुम्हे संध्या बेला पर
करू उम्मीदों भरा सलाम ।
ज्योति जी!
सूरज से यही उम्मीद होनी चाहिए। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।
bahut bahut sunder soch kee sunder abhivykti .
jyotijee abhee bhee bahar hoo hee atah samay par comment nahee de paa rahee hoo .
Chadte Suraj ko sabhi salaam Karte hai
Doobte Suraj ke Bahut Sunder Bhaav