याचना


आहिस्ते -आहिस्ते आती शाम

ढलते सूरज को करके सलाम ,

कल सुबह जो आओगे

लपेटे सुनहरी लालिमा तुम ,

आशाओं की किरणे फैलाना

मंजूर करे जिससे , ये मन

कण -कण पुलकित हो जाए

तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,

जन -जन में भरकर निराशा

न रोज की तरह ढल जाना ,

आशाओ के साथ उदय हो

खुशियों की किरणे बिखराना,

करती आशापूर्ण याचना

हाथ जोड़कर आती शाम ,

रवि तुम्हे संध्या बेला पर

करू उम्मीदों भरा सलाम ।

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर आशाओं की उमीद जगाती रचना। बधाई।
बहुत सुन्दर भाव ..आशा का संचार स करती रचना
सुंदर भाव ... आशा और स्फूर्ति का संदेश भरती ....
आशाओं की डोर से बँधा जगत का अस्तित्व।
आशाओं को समेटे आशावादी कविता
Dr.Ajit ने कहा…
तुम से उम्मीद-ए-वफा होंगी जिन्हे होंगी हमे तो आजमाना है कि तु जालिम कहाँ तक...

एक शेर के बहाने अपनी बात कहने की कोशिस की है मैने...

उम्दा लेखन
डा.अजीत
आशा और उम्मीद जगाती....
प्यारी रचना ..... अच्छा लगा पढ़कर
हरकीरत ' हीर' ने कहा…
आशाओं और उम्मीदों की सुंदर रचना .....!!
Rahul Rathore ने कहा…
बढ़िया है .....
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or
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आशाओं के साथ उदय हो
खुशियों की किरणें बिखराना...
सार्थक...
आशा का संचार करती रचना.
Alpana Verma ने कहा…
आशावादी दृष्टिकोण लिए हुए यह कविता बहुत सुन्दर बन पड़ी है.
आशावादी जज्बातों के साथ सुंदर शब्द व्यंजन.
इस्मत ज़ैदी ने कहा…
बहुत सुंदर रचना


कण -कण पुलकित हो जाए

तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
वाह !बहुत बढ़िया!
kumar zahid ने कहा…
कण -कण पुलकित हो जाए
तुम ऐसी उम्मीद जगाना ,
जन -जन में भरकर निराशा
न रोज की तरह ढल जाना ,
रवि तुम्हे संध्या बेला पर
करू उम्मीदों भरा सलाम ।



ज्योति जी!
सूरज से यही उम्मीद होनी चाहिए। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।
Apanatva ने कहा…
aisee rachanae jo kuch pyare sandesh de jatee hai meree kamjoree hai......
bahut bahut sunder soch kee sunder abhivykti .

jyotijee abhee bhee bahar hoo hee atah samay par comment nahee de paa rahee hoo .
Shaivalika Joshi ने कहा…
Very Nice....
Chadte Suraj ko sabhi salaam Karte hai
Doobte Suraj ke Bahut Sunder Bhaav

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